तमिलनाडु हिंसा को लेकर सुधाकर सिंह हुए हमलावर,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के पूर्व कृषि मंत्री और राजद विधायक सुधाकर सिंह ने साफ कहा है कि वे जनता के मुद्दे उठाते हैं और उठाते रहेंगे।
सवाल सत्ता से ही पूछा जाना चाहिए। हम जो भी सवाल उठाते हैं, वह किसी व्यक्ति से नहीं; बल्कि पद से करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह कह देना कि बिहारी बाहर पीटे नहीं जा रहे, यह अनैतिक होगा। सच यही है कि बिहारी काम की तलाश में बाहर जा रहे हैं और विभिन्न प्रदेशों में पीटे जा रहे हैं।
उन्होंने यह बात अनुमंडल के गोह प्रखंड के डाढ़ा गांव में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष राजेंद्र सिंह के आवास पर कही।
उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दों को उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे। इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है या नहीं पड़ता है, कौन क्या सोचता है, इसकी चिंता नहीं करते।
कहा कि सत्ता किसी व्यक्ति की नहीं होती। सबकी सामूहिक जिम्मेदारी होती है। सत्ता में अपना सगा ही क्यों न हो, सवाल पूछे जाने चाहिए।
कहा कि न जाने कैसे पार्टी लाइन का परसेप्शन बना दिया गया है। सत्ता हमेशा जनता को गुमराह करती है। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, रोजगार और कानून के मुद्दे पर परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर जमकर कटाक्ष किया।
उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी लोगों के बीच बोल रहा हूं, इसलिए मेरी भाषा प्रतीकात्मक है, बाकी आप समझदार हैं।
उन्होंने बिहार के विश्वविद्यालयों के लेट सेशन पर सवाल उठाते हुए बिहार के भविष्य के बारे में सवाल पूछा, रोजगार के लिए पलायन, अफसरशाही पर सत्ता को कठघरे में खड़ा किया।
हालांकि, कभी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया। कहा कि मोदी सरकार, नीतीश सरकार जैसे शब्दों का प्रयोग लोकतंत्र के लिए अनुचित है।
मीडिया को ऐसा नहीं करना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश या प्रदेश के लोग किसी एक के नाम से पहचाने जाएं।
इस दौरान राजद नेता मंटू सिंह, दीपक सिंह उर्फ दीपू सिंह, कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष संजय कुमार सिंह, राम अयोध्या सिंह, शंभु बारी, मुकेश कुशवाहा, देवी लाल यादव, रामेश्वर चौधरी उपस्थित रहे।
तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि जो लोग जानबूझकर अफवाह फैला रहे हैं, फेक वीडियो पोस्ट कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर झूठी तस्वीरें शेयर कर रहे हैं और राज्य में डर और तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ कड़ी क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
डीजीपी सी शैलेंद्र बाबू ने दावा किया था कि बिहार में किसी ने सोशल मीडिया पर एक झूठा और भ्रामक वीडियो पोस्ट किया है.
उनके मुताबिक़, “तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों के साथ कोई हिंसा नहीं हुई है. ये दोनों ही वीडियो पुराने हैं. एक वीडियो तिरुपुर का है जिसमें बिहारी मज़दूरों के दो गुटों के बीच आपस में लड़ाई हो रही है. जबकि दूसरा वीडियो कोयंबटूर का है और इसमें स्थानीय लोगों के बीच झगड़ा हो रहा है, इसका बिहारी मज़दूरों से कोई संबंध नहीं हैं.”
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने बयान जारी करते हुए इस हिंसा को देश की बेरोज़गारी से जोड़ दिया है.
शिवानंद तिवारी के मुताबिक़, “तमिलनाडु की घटना संकेत दे रही है कि ऐसी हिंसा दूसरे प्रांतों में भी हो सकती है. देश में बेरोज़गारी की समस्या बढ़ती जा रही है. जिन राज्यों को विकसित राज्य माना जा रहा था वहां भी बेरोज़गारी तेज़ी से बढ़ रही है.”
ख़बरों के मुताबिक़ तमिलनाडु के कई इलाक़े में बिहार के मज़दूरों के साथ हिंसा हो रही है. पिछले कुछ समय में इस हिंसा में दो बिहारी मज़दूरों की मौत की ख़बर भी बिहार में चर्चा में रही है.