गोपालगंज के सुधीर तिवारी का दुबई से 19 दिन बाद पहुंचा शव  

 

गोपालगंज के सुधीर तिवारी का दुबई से 19 दिन बाद पहुंचा शव

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शव पहुंचते ही गांव में पसरा मातम

सड़क दुर्घटना में 30 जुलाई को हो गई थी मौत

भोजपुरिया परिवार के लोकेश मिश्रा के प्रयास से शव पहुंचा गांव

श्रीनारद मीडिया, लोकेश मिश्रा, दुबई (यूएई)

विगत 30 जुलाई को  दुबई में हुए कार और पिकअप की टक्‍कर में   भारत के बिहार प्रदेश के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र के रामपुर बाबू निवासी  जटाशंकर तिवारी के पुत्र सुधीर कुमार तिवारी की मृत्‍यु हो गई। घटना की सूचना मिलते ही मृतक के घर में मातम पसर गया। परिवार के लोग सुधीर के शव लाने की प्रक्रिया में लग गये। लेकिन विदेश की घटना होने के कारण चाह कर भी परिवार वाले मौके पर नहीं पहुंच सकते।

दुबई स्थित भोजपुरिया परिवार के पदाधिकारी व यूएई सरकार से मान्‍यता प्राप्‍त श्रीनारद मीडिया के संवाददाता लोकेश मिश्रा ने सुधीर के पिता जटाशंकर तिवारी से बातचीत किया उसके बाद वे दुबई में भारतीय दुतावास से संपर्क किया।

बताया जाता है कि जिस कंपनी में सुधीर काम कर रहे थे उस कंपनी ने शव को भेजने में होने वाले खर्च को उठाने से इंकार कर दिया। कारण कि शव को भेजने में डेढ़ से दो लाख रूपया खर्च आता है।  फिर   श्री मिश्रा ने भारतीय दूतावास, पुलिस, सीआईडी आदि विभागों में जाकर एवं संपर्क कर भारत सरकार से शव भेजने का खर्च भुगतान करने की गुहार लगाई।

 

कागजी कार्रवाई पूरा होने के बाद 17 अगस्‍त की रात्रि 12 बजे दुबई से शव दिल्‍ली के लिए हवाई जहाज से चला और सुबह 5 बजे दिल्‍ली आया। लेकिन दुर्भाग्‍य की बात है कि  बिहार के लाखों लोग यूएई रहते हैं लेकिन बिहार से अंतर्राष्‍ट्रीय फलाईट की सुविधा नहीं होने के कारण सुधीर का शव दिल्‍ली एयरपोर्ट पर पांच घटा पड़ा रहा।दोपहर एक बजकर चालीस मिनट से दिल्‍ली से  साढ़े तीन बजे पटना एयरपोर्ट शव पहुंचा।

दुबई में रह रहे गोपलगंज जिले के निवासी राजू शाही ने पटना एयर पोर्ट से सुधीर के गांव रामपुर बाबू के लिए एंबुलेंस की व्‍यवस्‍था कराई ताकि शोक संतप्‍त परिवार को कुछ संबल मिल सके।

आपको बताते चले कि दुबई ही नहीं यूएई में जाकर काम करने वाले भोजपुरिया क्षेत्र के लोगों के सुख दुख में साथ रहने वाली संस्‍था भोजपुरिया परिवार आये दिन  वहां मरने वाले मजदुरों का शव स्‍वदेश भेजवाने, उन्‍हेंंआर्थिक सहयोग प्रदान करने, मजदुरों को बंधक बनाने पर वहां भारतीय दूतावास से बात कर उन्‍हें छोड़वाने सहित धार्मिक, समाजिक राष्‍ट्रीय त्‍यौहारों को मनाने का कार्य करते आ रही है।

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