शुगर फ्री आम खूब बटोर रहा सुर्खियां, पकने से पहले 16 बार बदलता है रंग.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गर्मी के मौसम में आम खाना हर कोई पसंद करता है. फलों का राजा कहे जाने वाले आम की एक से बढ़कर एक किस्म बाजार में उपलब्ध है. लेकिन आम की मिठास की वजह से शुगर के मरीजों के लिए इस फल को खाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब बिहार के एक किसान की बदौलत शुगर के मरीज भी आम को लुत्फ उठा पाएंगे.
आम का नाम अमेरिकन ब्यूटी है
मुजफ्फरपुर के किसान भूषण सिंह के बगीचे का आम आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. इस आम का रंग, शेप, साइज सामान्य आमों से बिल्कुल अलग है. इसके साथ ही यह आम शुगर फ्री है और इसका नाम अमेरिकन ब्यूटी है. किसान का कहना है की जो भी लोग यहां से गुजरते है वो एक बार इस आम का दीदार जरूर करते हैं.
6 साल पहले बगीचे में लगाया आम
मुजफ्फरपुर के मुशहरी गांव के रहने वाले किसान भूषण सिंह इस आम के पौधे को पश्चिम बंगाल से लेकर आए थे. इस खास किस्म के पौधे को उन्होंने 6 साल पहले अपने बगीचे में लगाया था. दो साल पहले से इस पेड़ में फल लगना शुरू हुआ. किसान भूषण सिंह का कहना है की यह आम शुरुआत से लेकर पकने तक 16 बार अपना रंग बदलता है. लेकिन इसका मंजर और दाना अन्य आमों की तरह ही होता है.
पांच महीने में तैयार होता है
भूषण सिंह बताते है यह आम पाँच महीने में तैयार हो जाता है. जुलाई महीने में यह आम पक कर तैयार हो जाएगा. पकने के बाद इस आम का वजन आधा किलो के आस पास होता है. किसान का कहना है की यह आम शुगर फ्री है जिस कारण से इसकी मिठास अन्य आमों की तुलना में कम है. हालांकि इसका स्वाद बहुत ही अच्छा है.
पौधे की मांग बढ़ी
किसान भूषण सिंह बताते है की चर्चा में आने के बाद इसके पौधे की मांग बढ़ गई है. जो भी इस आम को देखता है वह एक बार इसके पौधे की मांग जरूर करता है. लेकिन बिहार में अभी तक इसके पौधे की नर्सरी नहीं है. लेकिन इसकी नर्सरी बनाने के दिशा में काम किया जा रहा है.
आम को फलों का राजा कहा जाता है। इन दिनों आम का सीजन चल रहा है। देशभर में आम की एक से बढ़कर एक वैरायटी के स्वाद का लोग खूब लुत्फ उठा रहे हैं। इस बीच बिहार के मुजफ्फरपुर में किसान भूषण सिंह का बाग आम चर्चा का विषय बन गया है। इस आम का आकार, आकार और रंग इतना अलग होता है कि आगंतुक रुक कर एक के बाद एक इसे देखते हैं। किसान का दावा है कि यह अमेरिकन ब्यूटी नाम की एक आम शुगर फ्री है। इसे देखने वाले एक के बाद एक इसके नए प्लांट की मांग जरूर करते हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग छः किमी पूर्व में स्थित मुसहरी गांव निवासी किसान भूषण सिंह ने इस किस्म को पश्चिम बंगाल से लाकर अपने बगीचे में लगाया है। करीब छह वर्ष बाद इसमें फल आने लगे। यह दो साल से फल दे रहा है। किसान बताते हैं कि इसका नजारा और दाना आम आम की तरह निकलता है। लेकिन शुरू से लेकर पकने तक यह ये आम 16 बार अपना रंग बदलता है। पकने के टाइम इसका वजन आधा किलो से ज्यादा होता है। आम तौर पर इसका वजन चार सौ ग्राम होता है।
पिछले साल फल कम था इसलिए चर्चा नहीं हुई। लेकिन, इस साल राहगीरों ने आम को सुर्खियों में ला दिया। दरअसल, इसका आकार और रंग आम आम से अलग होता है। किसान भूषण सिंह ने बताया कि यह आम पांच महीने में तैयार हो जाता है। यह अगले महीने यानी जुलाई में पकने के लिए तैयार हो जाएगा। स्वाद के सवाल पर किसान का कहना है कि इसमें मिठास कम होती है क्योंकि यह शुगर फ्री किस्म है। हालांकि इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिकों ने भी इस आम का स्वाद चखा है।