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सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक

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अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर लागू नहीं होगा निर्देश

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देशभर में अपराधियों और अन्य मामलों में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक देश में कहीं भी मनमाने ढंग से बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि यह सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश है। शीर्ष अदालत इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगा। देश के सभी राज्यों को इन निर्देशों का पालन करना होगा। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों को इस्तेमाल करते हुए यह आदेश पारित करते हुए कहा कि ‘ कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं हो सकते।

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने हालांकि यह साफ कर दिया कि उनका यह आदेश सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत निर्माणों को हटाने के मामले में लागू नहीं होगा। पीठ ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आपराधिक मामले में संदिग्ध और आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिराए जाने का आरोप लगाने और इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश पारित किया है।

पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि अगले आदेश तक देशभर में कहीं भी उसकी (सुप्रीम कोर्ट) अनुमति के बगैर कहीं भी तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। जस्टिस गवई ने आदेश पारित करते हुए कहा कि राज्यों/अधिकारियों को संयम बरतने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर तय करते हु्य कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों, खासकर भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्यों/अधिकारियों के हाथ इस तरह से नहीं बांधे जा सकते। पीठ ने उनकी आपत्ति को दरकिनार करते हुए कहा कि यदि दो सप्ताह तक तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाए तो ‘आसमान नहीं गिर जाएगा.

जस्टिस गवई ने राज्यों से अपने हाथ थामने और संयम बरतने की नसीहत देते हुए कहा कि ‌आखिर 15 दिनों में क्या होगा? इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अदालत अधिकारियों से देश भर में हाथ थामने के लिए नहीं कह सकते। इसके बाद जस्टिस गवई ने कहा कि ‘हमने अगले आदेश तक के लिए देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी और इस अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि हम (अदालत) अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे, लेकिन ‘कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं हो सकती।

‘यदि अवैध रूप से तोड़फोड़ का एक भी मामला है तो यह संवैधानिक मू्ल्यों के खिलाफ है- जस्टिस विश्वनाथन

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि यदि अगर अवैध रूप से तोड़फोड़ का एक भी मामला है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने यह टिप्पणी तब की, जब वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई पर चिंता जताए जाने के बाद भी तोड़फोड़ की जा रही है।

उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह एक पक्ष पर पथराव का आरोप लगाया गया था और उसी रात उसका घर गिरा दिया गया। इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि संबंधित पक्ष को तोड़फोड़ की कार्रवाई के लिए नोटिस 2022 में ही भेज दिए गए थे और तब से लेकर 2024 में विध्वंस की कार्रवाई के बीच की अवधि में उन्होंने कुछ अपराध किए। उन्होंने कहा कि यह दलील देना अनुचित है कि तोड़फोड़ की कार्रवाई अपराधों में आरोपियों की संलिप्तता की वजह से हो रही है।

इस पर जस्टिस विश्वनाथन के कहा कि 2024 में अचानक संपत्तियों को क्यों ध्वस्त कर दिया गया। खासकर तब, जब शीर्ष अदालत पिछली सुनवाई परअनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निर्देश जारी करने का इरादा व्यक्त किया था। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि अगली तारीख तक, सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बगैर देश में कहीं भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अदालत में ‘कहानी बनाई जा रही है कि एक समुदाय विशेष निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने पीठ से कहा कि यह कहानी इस अदालत को भी आकर्षित किया है। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि ‘बाहरी शोर न तो इस न्यायालय को और न ही हमें प्रभावित कर रहे हैं, हम इस समय इस सवाल पर नहीं पड़ेंगे कि…किस समुदाय…, यदि अवैध तोड़फोड़ का एक भी मामला है तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश के एक मंत्री की आलोचना की, जिन्हें कथित तौर पर यह बयान दिया था कि ‘बुलडोजर का उपयोग जारी रहेगा। मंत्री पर यह बयान सुप्रीम कोर्ट के पिछली सुनवाई के बाद दिया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देश के सभी राज्यों के लिए दिशा-निर्देश बनाएंगे।

इतना ही नहीं, मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा बुलडोजर के इस्तेमाल को उचित ठहराते हुए बचाव किया था। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आपने खुद कहा था कि किसी मामले में आरोपी होने के आधार पर किसी का घर नहीं गिराया जाना चाहिए। लेकिन 2 सितंबर की सुनवाई के बाद भी बुलडोजर कार्रवाई का महिमामंडन और भव्य प्रदर्शन ‌हुआ है। पीठ ने कहा कि क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? क्या चुनाव आयोग को नोटिस दिया जा सकता है ताकि इस तरह की बातों के लिए कुछ दिशा-निर्देश बनाए जा सके।

 

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