EVM-VVPAT पर सुप्रीम मुहर के साथ निर्देश भी दिया
सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग भी खारिज की
EVM-VVPAT के 100% सत्यापन से जुड़ी अर्ज़ियां खारिज
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने और ईवीएम पर उठने वाले सभी सवालों को खारिज करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल करके डाले गए वोटों का 100 फीसद मिलान कराने की मांग वाली सभी याचिकाओं को आज कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
ये सुझाव भी दिया
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सुझाव देते हुए कहा कि वो देखे कि क्या वीवीपैट पर्चियों पर बार कोड लगाए जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि इससे वीवीपैट पर्चियों को स्वचालित रूप से गिनती मशीन द्वारा गिना जा सकेगा।
कोर्ट ने और क्या कहा
एसोसिएशन फार डेमेक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) संस्था और कुछ अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान की मांग की थी।
एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इनसे छेड़छाड़ की आशंका जताई तो पीठ ने कहा था कि क्या सिर्फ संदेह के आधार पर कोर्ट ईवीएम के बारे में आदेश दे सकता है जबकि इसका कोई ठोस सबूत भी नहीं है।
फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है. लोकतंत्र अपने विभिन्न स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पर आधारित है. इस पर कोर्ट का रुख साक्ष्यों पर आधारित रहा है. वहीं जस्टिस दीपांकर दत्ता ने फैसला सुनाते समय कहा कि किसी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है.
अपने दूसरे निर्देश में कोर्ट ने कहा कि प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र प्रति संसदीय क्षेत्र में घोषणा के बाद ईवीएम के निर्माताओं के इंजीनियरों की एक टीम द्वारा जांच और सत्यापन किया जाएगा. उम्मीदवार 2 और 3 के लिखित अनुरोध पर परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर ये जांच होनी चाहिए. वास्तविक लागत अनुरोध करने वाले उम्मीदवार द्वारा वहन की जाएगी. ईवीएम से छेड़छाड़ पाए जाने पर खर्चा वापस किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह वोटों की पर्चियों की गिनती के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन के सुझाव की जांच करे और क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक बार कोड भी हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये खास सुझाव
कोर्ट ने कहा है कि ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट की गिनती में मशीन की मदद लेने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है. दो जजों की पीठ ने वीवीपैट की गिनती के मुद्दे पर समवर्ती लेकिन अलग-अलग फैसले सुनाए. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोई प्रत्याशी वेरिफिकेशन की मांग करता है तो उस स्थिति में इसका खर्चा उसी से वसूला जाए, अगर ईवीएम में कोई छेड़छाड़ मिलती है तो उसे खर्चा वापस किया जाए.
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से चार अहम सवाल पूछे थे. साथ ही न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी को कुछ सवालों के जवाब देने के लिए दोपहर 2 बजे अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा था.
कोर्ट ने आयोग से जो सवाल पूछे थे उनमें शामिल हैं…
- माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में लगा होता है या फिर वीवीपैट में ?
- क्या माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्रेमबल होता है ?
- आयोग के पास चुनाव चिन्ह अंकित करने के लिए कितने यूनिट उपलब्ध हैं ?
- आपने कहा कि चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है. लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है, आपको इसे सही करना होगा.
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