फर्जी फार्मासिस्टों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार
बिहार में बंद होंगे हजारों दवा दुकान
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को नागरिकों की जीवन से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिहार में फर्जी फार्मासिस्ट अस्पताल और मेडिकल स्टोर चला रहे हैं। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जस्टिस एमआर शाह और एमएम सुंदरेश ने कहा, ‘राज्य सरकार और बिहार राज्य फार्मेसी परिषद को नागरिक के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा मेडिकल स्टोर या अस्पताल चलाने से नागरिक के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।’ कोर्ट ने कहा कि फार्मेसी काउंसिल और राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित करे कि अस्पताल/मेडिकल स्टोर केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा चलाए लाएं।
शीर्ष अदालत ने नौ दिसंबर, 2019 को पारित हाई कोर्ट के आदेश को यह कहते हुए रद कर दिया और चार सप्ताह के भीतर मुद्दों पर नए सिरे से फैसला करने के लिए मामले को वापस हाई कोर्ट में भेज दिया है। पीठ ने हाई कोर्ट से यह भी कहा कि फर्जी फार्मासिस्टों पर राज्य सरकार और बिहार राज्य फार्मेसी परिषद से विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाए। हाई कोर्ट ने मामले का कर दिया था निस्तारण हाई कोर्ट में बिहार स्टेट फार्मेसी की ओर से कहा गया कि तथ्यान्वेषी समिति बनाकर इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। इसके बाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया था।
बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों द्वारा अस्पताल और मेडिकल स्टोर चलाये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए बिहार सरकार को फटकार लगायी और ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फार्मेसी काउंसिल और बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि अस्पताल और मेडिकल स्टोर पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही संचालित हो.
लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं
न्यायाधीश एमआर शाह और न्यायाधीश एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है. ऐसे में अस्पताल और मेडिकल स्टोर का संचालन पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कर सकते हैं.
दोबारा सुनवाई करने का आदेश
पीठ ने पटना हाइकोर्ट में बिहार में फर्जी फार्मासिस्ट और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली अर्जी पर दोबारा सुनवाई करने का आदेश देते हुए जनहित याचिका को फिर से बहाल कर दिया. साथ ही हाइकोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले में बिहार सरकार और फार्मेसी काउंसिल को यह पता लगाने को कहे कि राज्य में ऐसे कितने सरकारी, निजी अस्पताल और मेडिकल स्टोर का संचालन फर्जी फार्मासिस्ट कर रहे हैं.
हलफनामा दाखिल करने को कहे
इस मामले पर दोनों से हलफनामा दाखिल करने को कहे. साथ ही हाईकोर्ट राज्य सरकार से फार्मेसी काउंसिल की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पर कदम उठाये जाने की जानकारी तलब करे और यह पता लगाये कि राज्य में फार्मेसी नियमन कानून का पालन हो रहा है या नहीं.
हाईकोर्ट पर भी नाराजगी
फर्जी फार्मासिस्टों के नाम पर दवा दुकान औऱ अस्पताल चलाने को लेकर सबसे पहले पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे समाप्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पटना हाई कोर्ट ने जिस तरह से इस जनहित याचिका का निस्तारण किया वह ठीक नहीं था.
बिहार फार्मेसी काउंसिल से रिपोर्ट देने को कहना चाहिए
नागरिकों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करने के मामले में हाई कोर्ट का रवैया कामचलाऊ था. उसने मामले की तह में जाने के बजाए आधे-अधूरे तरीके से इसका निपटारा कर दिया. हाई कोर्ट को बिहार फार्मेसी काउंसिल से रिपोर्ट देने को कहना चाहिए. हाईकोर्ट को ये भी रिपोर्ट मांगनी चाहिए थी कि बिहार फार्मेसी काउंसिल ने जो रिपोर्ट दी थी उस पर राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई की है या नहीं.