Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कलात्मकता और पर्यटन को बढ़ावा देता है सूरजकुंड शिल्प मेला. - श्रीनारद मीडिया

कलात्मकता और पर्यटन को बढ़ावा देता है सूरजकुंड शिल्प मेला.

कलात्मकता और पर्यटन को बढ़ावा देता है सूरजकुंड शिल्प मेला.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

किसी भी सभ्यता और संस्कृति के विकास में कला और शिल्प का विशेष महत्व है। हमारी कलात्मक अर्थव्यवस्था को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला एक खास गति और पहचान दोनों देता है। यह न केवल हरियाणा के शिल्पियों के लिए बल्कि पूरे भारत के कारीगरों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारी समृद्ध विरासत और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहन भी देता है।

बता दें कि लोकप्रिय सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन प्रतिवर्ष दिल्ली से सटे हरियाणा प्रान्त के फरीदाबाद जनपद स्थित सूरजकुंड नामकऐतिहासिक महत्व वाले स्थल पर होता है, जो दक्षिणी दिल्ली से महज 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। दरअसल, सूरजकुंड का नाम प्राचीन राजभूमि से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘सूर्य का कुंड’ होता है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के शासकों में से एक राजा सूरजपाल ने किया था। ‘सूरज’ का अर्थ ‘सूर्य’ है और ‘कुंड’ का अर्थ ‘कुंड/झील या जलाशय’ है। यह स्थान अरावली पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि के सामने निर्मित है।

इतिहासकार एस के त्यागी बताते हैं कि यह क्षेत्र तोमर वंश के अधिकार क्षेत्र में आता था। सूर्य उपासकों के वंश के शासकों में से एक राजा सूरज पाल ने इस क्षेत्र में एक सूर्य कुंड का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि इसकी परिधि में एक मंदिर भी स्थापित था। पुरातात्विक उत्खनन से यहां खंडहरों के आधार पर एक सूर्य मंदिर के अस्तित्व का पता चला है जिसे अब भी देखा जा सकता है। फ़िरोज़ शाह तुगलक (1351-88) के तुगलक राजवंश शासन के दौरान, चूने के पत्थरों के साथ सीढ़ियों और छतों का पुनर्निर्माण करके जलाशय का नवीनीकरण किया गया था।

गौरतलब है कि सूरजकुंड शिल्प मेले के इतिहास में एक शानदार उपलब्धि स्थापित करते हुए इसे वर्ष 2013 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपग्रेड किया गया था। वहीं, 2020 में यूरोप, अफ्रीका और एशिया के 30 से अधिक देशों ने मेले में भाग लिया। इस वर्ष भी 30 से अधिक देश मेले का हिस्सा बन रहे हैं, जिसमें भागीदार राष्ट्र उज्बेकिस्तान शामिल है। वहीं, लैटिन अमेरिकी देशों, अफगानिस्तान, इथियोपिया, इस्वातिनी, मोजाम्बिक, तंजानिया, जिम्बाब्वे, युगांडा, नामीबिया, सूडान, नाइजीरिया, इक्वेटोरियल गिनी, सेनेगल, अंगोला, घाना, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका, ईरान, मालदीव और बहुत से अन्य देश भी पूर्ण उत्साह के साथ इस मेले में भागीदार बन रहे हैं। वहीं, आगंतुकों के मन को प्रफुल्लित करने के लिए, भारत के राज्यों के कलाकारों सहित भाग लेने वाले बाहरी देशों के अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शनों की प्रस्तुति की जाएगी।

जहाँ तक 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2022 की मुख्य विशेषताओं की बात है तो यह जान लीजिए कि उज्बेकिस्तान इस वर्ष के मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में भाग लेगा। वहीं, प्रौद्योगिकी (आईटी) की प्रगति के साथ तालमेल रखते हुए, मेला प्रवेश टिकटों को पेटीएम इनसाइडर के माध्यम से ऑनलाइन बुक किया जा रहा है।

इस अंतरराष्ट्रीय मेला में कला और संस्कृति विभाग पारंपरिक और सांस्कृतिक कलाकारों जैसे राजस्थान से कच्छी घोड़ी, स्टिक वॉकर, कालबेलिया, बेहरुपिया, हिमाचल से कांगड़ी नाटी, असम से पीहू, पंजाब से भांगड़ा, जिंदुआ, झूमेर, उत्तराखंड से छपेली, उत्तर प्रदेश से बरसाना की होली, मेघालय से वांगिया, ओडिशा से संभलपुरी, मध्य प्रदेश से बधाई महाराष्ट्र से लावणी और अनेकों कलाकृतियों का प्रदर्शन करेगा। वहीं, उद्योगिक सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के रूप में, सूरजकुंड मेला प्राधिकरण दिव्यांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और सेवारत रक्षा कर्मियों एवं पूर्व सैनिकों को प्रवेश टिकट पर 50 प्रतिशत की छूट प्रदान करेगा। हरियाणा का पुनर्निर्मित ‘अपना घर’ आगंतुकों को एक नए स्वरूप में रोमांचित करेगा।

वहीं, स्कूली छात्रों के लिए अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। मेला पखवाड़े के दौरान निर्यातकों और खरीदारों की बैठक का आयोजन किया जाएगा, जो शिल्पकारों को निर्यात बाजार तक पहुंचने और दोहन करने के लिए एक सहायता प्रणाली उपलब्ध कराएगा। वहीं, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मेला मैदान में नाइट विजन कैमरों के साथ 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या दुर्घटना को रोकने के लिए मेला परिसर में महिला गार्ड सहित बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

इस प्रकार हमलोग कह सकते हैं कि हमारी कलात्मक अर्थव्यवस्था को एक खास गति और पहचान देने के साथ साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देता है सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला, जो शिल्पकारों के लिए किसी वरदान की तरह है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!