स्वामी विवेकानंद ने स्वबोध जागरण का दिया था प्रबल संदेश

स्वामी विवेकानंद ने स्वबोध जागरण का दिया था प्रबल संदेश

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

प्रज्ञा प्रवाह, सीवान के सांस्कृतिक आयाम द्वारा कन्हैयालाल जिला पुस्तकालय में विचार गोष्ठी आयोजित

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान नगर के वीएम उच्च विद्यालय परिसर स्थित कन्हैयालाल जिला पुस्तकालय में शनिवार को राष्ट्रीय युवा दिवस सह स्वामी विवेकानंद जयंती के प्रसंग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। यह आयोजन प्रज्ञा प्रवाह के सिवान शाखा के सांस्कृतिक आयाम द्वारा किया गया। इसमें “स्वामी विवेकानंद और स्वबोध” विषय पर विचार मंथन हुआ। विद्वतजनों ने अपनी बातों को रखा। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर रवींद्र नाथ पाठक ने किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक प्रियंवद रहे। मुख्य वक्ता के तौर पर श्री पुष्पेंद्र पाठक ने अपना सारगर्भित और विस्तृत उद्बोधन दिया।

विचार गोष्ठी के प्रारंभ में सबसे पहले स्वामी विवेकानंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। प्रज्ञा प्रवाह के सिवान शाखा के संयोजक प्रोफेसर अवधेश शर्मा ने स्वागत भाषण दिया और बताया कि फिरंगी हुकूमत के दौर में स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिक चेतना को जागृत किया था। विषय प्रवेश कराते हुए डॉक्टर राजेश पांडेय ने कहा कि एक बालक नरेंद्र का स्वामी विवेकानंद होना, सभी भारतीय की कहानी है।

आवश्यकता इस बात की है कि हम कितने चेतन और जागरूक हैं? विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि स्वबोध का जागरण युवाओं में आत्मविश्वास और मानसिक सुकून लाने के लिए आवश्यक है। स्वबोध का आशय स्वयं की खूबियों और कमियों को पहचानने से है। आत्म मूल्यांकन, आत्म निरीक्षण, आत्म शोधन की प्रक्रिया जीवन में सतत चलते रहना चाहिए।

मुख्य वक्ता के तौर पर अपनी बात रखते हुए शिक्षाविद् पुष्पेंद्र पाठक ने कहा कि स्वबोध से आशय स्वयं को सिर्फ जानने से ज्यादा स्वयं को महसूस करने से है। संस्कार बोध, समस्या बोध, समाधान बोध, समय बोध, शत्रु बोध आदि स्वबोध के प्रमुख आयाम हैं। स्वामी विवेकानंद ने स्वबोध के जागरण का संदेश देकर हमारे अंदर आत्मविश्वास और साहस के भाव को भरने का प्रयास किया।

प्रोफेसर अशोक प्रियंबद ने कहा कि समाज को भौतिक सुविधाओं के साथ आत्मिक उन्नति के संदर्भ में भी स्वामी विवेकानंद के साथ स्वबोध का जागरण महत्वपूर्ण है। हमें अपने सांस्कृतिक विरासत के तथ्यों पर गौर और गर्व करना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर रवींद्र नाथ पाठक ने कहा कि स्वबोध के जागरण से ही विवेक को आनंद मिल सकता है। स्वबोध का जागरण का प्रयास परिवार के स्तर पर हो हम अपने बच्चों को उनकी खासियत, संस्कारों के महत्व के बारे में बताएं। आभार ज्ञापन महिला आयाम की विभा द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर प्रेमशंकर सिंह, अर्चना सिंह, विभा कुमारी, जादूगर विजय, अधिवक्ता अविनाश पांडे, रश्मि गिरी, सुयश आदि भी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!