कनाडा में ऑपरेशन ब्लू स्टार और 84 दंगों की झांकी निकली,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी निकाली गई। इसमें दो सिख गनमैनों को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री को गोली मारते दिखाया गया। झांकी में ऑपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगों के बैनर भी थे।

4 जून को खालिस्तानी समर्थकों की ओर से निकाले गए करीब 5 किलोमीटर लंबे नगर कीर्तन में यह झांकी दिखाई गई थी। 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39वीं बरसी पर इस झांकी के फोटो-वीडियो पोस्ट किए गए।

झांकी के वीडियो सामने आने के बाद कनाडा में ही इसका विरोध शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर झांकी के वाीडियो अपलोड कर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर एक्शन लेने की मांग के कैंपेन चल रहे हैं।

ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानियों ने इंदिरा गांधी हत्याकांड की झांकी निकाली। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख बॉडीगार्ड्स सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने की थी।
ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानियों ने इंदिरा गांधी हत्याकांड की झांकी निकाली। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख बॉडीगार्ड्स सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने की थी।

 ऑपरेशन ब्लू स्टार
खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरांवाले को पकड़ने के लिए 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था। वह अमृतसर के गोल्डन टेंपल में छिपा था। उसे पकड़ने के लिए 6 जून 1984 को सेना गोल्डन टेंपल और अकाल तख्त साहिब में घुसी और जरनैल सिंह को मार डाला।

ऑपरेशन में गोल्डन टेंपल और अकाल तख्त साहिब को नुकसान पहुंचा था। इसकी वजह से सिखों में काफी गुस्सा था। इसके 4 महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा में तैनात दो सिख जवानों ने गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे।

ब्रैम्पटन शहर में निकाली गई झांकी में ऑपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगों की फोटो वाला बैनर भी लगा था।
ब्रैम्पटन शहर में निकाली गई झांकी में ऑपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगों की फोटो वाला बैनर भी लगा था।

झांकी की कहीं आलोचना, कहीं………….
इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी निकाले जाने पर लोग नेताओं की भी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सब नेताओं की शह पर हो रहा है। खालिस्तान समर्थक कनाडा का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने आरोप लगाया कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार वोट बैंक के लिए खालिस्तानियों पर निर्भर है।

वहीं, गुरप्रीत सिंह खालिस्तानी ने ट्वीट किया- व्यापारिक समझौते के लिए पश्चिमी देश भारत में हुए सिखों के नरसंहार को प्रदर्शित करने से रोकते हैं। उन्हें रोकने के लिए किसी तरह का कोई समझौता नहीं करना चाहिए। सच्चे और शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए आयोजकों को शाबाशी।

 ये पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री और भारत का अपमान है। जो आज भारत का अपमान कर रहे हैं कल और देशों का भी नंबर आएगा, क्या अब पूरा विश्व कनाडा को नहीं देख रहा है? ह्यूमन राइट्स वाले कहां हैं अब?

वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह की फरारी के दौरान कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय एम्बेसी में लगा तिरंगा उतार दिया था। उसके स्थान पर खालिस्तानी झंडा फहरा दिया था। कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थकों की ऐसी हरकत पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था और कनाडा के राजदूत को तलब किया था।

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