क्या अब हम दंगों में जीने को अभ्यस्त हो चुके है?
क्या अब हम दंगों में जीने को अभ्यस्त हो चुके है? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क चीन में 1912-13 में जब मंचू राजशाही का अंत हुआ तो जनांदोलनकर्ताओं के सामने पदच्युत राजशाही ने अपनी कोई शर्त नहीं रखी। 1917 में सोवियत क्रांति में गद्दी छोड़कर भाग रहा ‘जार’ भी आंदोलनकारियों के सामने कोई शर्त नहीं रख…