बाबा नागार्जुन की रचना लोक से प्राण ग्रहण करती है,कैसे?

बाबा नागार्जुन की रचना लोक से प्राण ग्रहण करती है,कैसे? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क ठंड से नहीं मरते शब्द वे मर जाते हैं साहस की कमी से… जनकवि नागार्जुन के संदर्भ में केदारनाथ सिंह की ये पंक्तियां एकदम फिट बैठती हैं. ‘जनकवि हूं मैं, साफ कहूंगा, क्यों हकलाऊं’ इस तरह अपनी बात कह देने के…

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