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भाषा बोलने से जिंदा रहती है, लिखने से यादगार बनती है.

भाषा बोलने से जिंदा रहती है, लिखने से यादगार बनती है. श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क दुनियाभर की भाषाओं में किसी न किसी किस्म के अपकर्ष, खराबी, खामी, कमजोरी वाली शब्दावली में स्तरहीनता वाली बात विभाजन या अलगाव से पैदा होती है. प्रतिमा हो या अंग-भंग अथवा विकलांगता, इतिहास गवाह है कि सबसे पहले यही बातें…

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