पुस्तकें ही व्यक्ति की सच्ची मित्र होती हैं,कैसे?

पुस्तकें ही व्यक्ति की सच्ची मित्र होती हैं,कैसे? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क गुलजार साहब की किताबों पर लिखी एक कविता मुझे बेहद पसंद है. यह कविता किताबों से हमारे बदलते रिश्ते को दर्शाती है. ‘किताबें झांकती है बंद अलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं/ महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं, जो शामें उनकी…

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