किताबें ही तो सुलझाती हैं जिंदगी की उलझनें!
किताबें ही तो सुलझाती हैं जिंदगी की उलझनें! विश्व पुस्तक दिवस पर मेरी बात ✍️गणेश दत्त पाठक श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क किताबें मैं पढ़ता रहा था। पढ़ाई के दौरान सिर्फ पाठ्यपुस्तकों से ही ज्यादा याराना रहा। लेकिन जब 2015 में मुझे ब्रेन ट्यूमर हुआ तो सर्जरी के बाद निम्हांस अस्पताल बेंगलुरु के डॉक्टरों ने आराम…