परिवर्तन भाषा का शाश्वत धर्म है,कैसे?

परिवर्तन भाषा का शाश्वत धर्म है,कैसे? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क लोक में रमा हुआ तत्व है भाषा, जिसका प्रवाह सनातन से है और जो पग-पग पर डगर बदलती चलती है. भाषा गतिमान है और इसीलिए लोक के प्रवाह में शब्दों के रूप और अर्थ बदलते रहते हैं. यह बदलाव व्यंग्य के तौर पर नजर आता…

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