छठ लोकपर्व है,लोकगीत इसका प्राणरस है-चन्दन तिवारी

छठ लोकपर्व है,लोकगीत इसका प्राणरस है-चन्दन तिवारी श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क छठ लोकपर्व है। लोकगीत इसका प्राणरस है। सूर्य भी तो इस जगत में प्राण फूंकता है। उगी हे सुरूज देव, भेल भिनसरवा, अरघ केरा बेरवा हो/ बरती पुकारे देव, दुनो करजोरिया, अरघ केरा बेरिया हो… यह सुबह के अर्घ्य के समय का गीत है।…

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