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खिड़की से देखो तो गंदे इशारे, बाहर निकलो तो कभी ग्राहक, कभी दलाल दबोचते हैं,क्यों?

खिड़की से देखो तो गंदे इशारे, बाहर निकलो तो कभी ग्राहक, कभी दलाल दबोचते हैं,क्यों? अंधेरी गलियों में छिपते-छिपाते जैसे कुछ परिवार हैं. श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क पढ़ी-लिखी हूं। एक बार इंटरनेट पर समझना चाहा कि आसमान कितना बड़ा है। जवाब मिला- जितनी दूर हम देख सकें! मेरे लिए आसमान सिंगल बेड की चादर से…

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