मोहन राकेश की कहानी ‘मलबे का मालिक’ पर टिप्पणी.

मोहन राकेश की कहानी ‘मलबे का मालिक’ पर टिप्पणी. श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क रघुवीर सहाय के मुताबिक लेखक की एक मुश्किल जनता भी होती है। जनता का गुणगान करके भवसागर पार करने वाले बहुतेरे मिलते हैं, लेकिन उसकी कमियों पर उँगली रखकर उसे दिखाने वाले बिरले होते हैं। हाँ, जनसमुदाय को अपने फूहड़ हास्य-व्यंग्य का…

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