मुझे तुम निष्प्राण मत समझो!तुम पश्चिम नहीं, पूरब के चेतन शील जीव हो।
मुझे तुम निष्प्राण मत समझो!तुम पश्चिम नहीं, पूरब के चेतन शील जीव हो। श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क प्रातः चूल्हे पर कड़ाही और मेरे उंगली का अनावृत स्पर्श हो गया। ईश्वर का धन्यवाद है कि उंगली का ही हुआ और किसी अंग का नहीं! स्पर्श से त्वचा ने अपना रंग बदल लिया,परन्तु सब ठीक है। लेकिन…