मुफ्त का लेनदेन अब लोकतंत्र की जड़ों को दीमक की तरह कर रहा खत्म,कैसे?
मुफ्त का लेनदेन अब लोकतंत्र की जड़ों को दीमक की तरह कर रहा खत्म,कैसे? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुजाने। इस प्राचीन लोकोक्ति का आशय तो आप समझ ही गए होंगे। इस सोच-समझ और संस्कार को हतोत्साहित करने के लिए हमारे समाज ने ऐसे अनेक मुहावरे गढ़े लेकिन भारतीय…