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साहित्यकार की श्रेष्ठता इसमें है कि वह हजम न किया जा सके-शंभुनाथ

साहित्यकार की श्रेष्ठता इसमें है कि वह हजम न किया जा सके-शंभुनाथ श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क आजकल गैर -जरूरी आरोप -प्रत्यारोप के बीच संवाद की जगह काफी सिकुड़ गई है, बल्कि असहमत को शत्रु के रूप में देखा जाता है। विभीषण राम का भक्त था और रावण से असहमत था, लेकिन लंका में ऐलानिया रहता…

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