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“मुरादों के ऊपर दौड़ने वाली ट्रेन बाजार फ़िल्म की त्रासदी है।”-प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी

“मुरादों के ऊपर दौड़ने वाली ट्रेन बाजार फ़िल्म की त्रासदी है।”-प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क साहित्य,कला एवं संस्कृति के मंच ‘कस्तूरी’ के तत्वावधान में फ़िल्म परिचर्चा का आयोजन किया गया। ‘कुछ पाकर खोना है कुछ खोकर पाना है: फिल्में जो सहेजनी हैं’ श्रृंखला के अन्तर्गत सागर सरहदी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘बाज़ार'(1982)…

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