छंद के मुक्तिमार्गी निराला ने कविता की मुक्ति का पथ प्रशस्त किया”
छंद के मुक्तिमार्गी निराला ने कविता की मुक्ति का पथ प्रशस्त किया” वह आतादो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ;वह तोड़ती पत्थरइलाहाबाद के पथ पर ..बचपन में पढ़ी ये कविताएं आज भी याद हैं. निराला की राम की शक्तिपूजा, जूही की कली, कुकुरमुत्ता और सरोज स्मृति और बॉंधों न नाव इस…