कोरोना संकट के बीच दिव्यांगजनों की अच्छी से करें देखभाल : सहायक निदेशक
•धैर्य, प्यार व सहानभूति से आये पेश, पोषक वाले तत्व भी जरूरी
•व्यक्तिगत सफाई की आदत व हल्के व्यायाम के लिए करें प्रोत्साहित
•सदर अनुमंडल के बुनियाद केंद्र पर लाभार्थियों को दी गयी जानकारी
श्रीनारद मीडिया‚ गोपालगंज (बिहार)
गोपालगंज कोरोना संकट के दौरान दिव्यांगजनों की विशेष देखभाल बहुत जरूरी है। दिव्यांग बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इस वजह से उनकी देखभाल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत और भी अधिक हो जाती है। वरीय उप समाहर्ता सह दिव्यांगजन निदेशालय की प्रभारी सहायक निदेशक पिंकी शर्मा ने सदर अनुमंडल के बुनियाद केंद्र पर लाभार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि दिव्यांग बच्चों की देखभाल से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता धैर्य व प्यार के साथ इस संकटकाल में दिव्यांग बच्चों के साथ पेश आयें और ऐसे बच्चों के मानसिक और शारीरिक ध्यान रखना समाज की भी जिम्मेदारी है। ऐसे बच्चों के साथ हमेशा सहानभूति से ही पेश आयें, इसका सभी को ध्यान रखना है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन निदेशालय और स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिव्यांगजनों की देखभाल के लिए कई गाइडलाइन जारी किये गये हैं।
नियमित साफ सफाई रखने पर दें ध्यान:
कोविड-19 महामारी को लेकर दिव्यांग बच्चों की नियमित साफ सफाई व हाथ धोने के नियमों का विशेष तौर पर पालन किया जाना है। दिव्यांग बच्चों को इधर-उधर की सतहों को नहीं छूने का प्रशिक्षण देने के साथ उनके हाथों को नियमित सैनिटाइज करते रहना चाहिए। उनके हाथों को साबुन से नियमित 30 सेकेंड तक धोना चाहिए। नाखूनों को समय समय काटते रहें। गर्मी के मौसम में हर रोज नहलायें। उनके बालों व सिर को शैंपू से नियमित साफ किया जाना चाहिए।
सफाई के मूलभूत तरीकों की दें जानकारी
वरीय उप समाहर्ता सह दिव्यांगजन निदेशालय की प्रभारी सहायक निदेशक ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को कुछ मूलभूत साफ सफाई के तरीके सिखाये जा सकते हैं। जैसे छींकने या खांसने आदि पर नाक व मुंह को ढंकना व साफ तौलिये, रूमाल या टिश्यू पेपर से आदि से साफ करना। वहीं अपने दिव्यांग बच्चों को अजनबी या बाहर से आने वाले लोगों के संपर्क से दूर रखना है। दिव्यांग बच्चों को भी एक मीटर की शारीरिक दूरी रखने की जानकारी देने व उसके पालन करवाने के लिए कहें।
साफ सफाई संबंधी व्यवहारों को दोहरायें
कई दिव्यांग बच्चों में निर्देशों के पालन व सीखने में कठिनाई होती है। ऐसे अधिकांश बच्चे नकल करने में अच्छे होते हैं। साफ-सफाई संबंधी व्यवहारों को उनके सामने कई बार दोहराने से वे इसे सीखने लगते हैं। माता पिता या दिव्यांग बच्चों का ध्यान रखने वाले वाले लोग बच्चों को समझाने के लिए ऐसे विभिन्न तकनीकों इस्तेमाल कर सकते हैं।
खानपान में विटामिन व प्रोटीन करें शामिल:
दिव्यांग बच्चों के पोषण में विटामिन, प्रोटीन व खनिज पदार्थों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ताकि उनका समग्र विकास प्रभावित नहीं हो। उन्हें साफ ताजा भोजन दें। उनके भोजन में फल, दाल, अनाज, पत्तेदार सब्जी शामिल करें। साथ ही गुनगुने पानी में नींबू का रस मिला कर पीने को दें। बाहर से लाये गये या जंक फूड नुकसानदेह है और इससे दूसरी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।
हल्के व्यायाम के प्रति भी करें प्रोत्साहित:
माता-पिता अपने दिव्यांग बच्चों को सुबह सवेरे हल्के व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि बच्चे सुबह सवेरे हल्के व्यायाम करते हें तो इससे उनका शरीर का वजन स्थिर रहेगा। व्यायाम किसी भी प्रकार का हो सकता है। जैसे सीढ़ी से उपर नीचे करना, या फिर कोई खेल। यह बच्चों की दिव्यांगता पर निर्भर करता है कि वे कैसा व्यायाम कर सकने में सक्षम हैं। माता-पिता किसी दिव्यांगजन निदेशालय की हथुआ व सदर अनुमंडल के बुनियाद केंद्र से भी शारीरिक व्यायाम की तकनीक की जानकारी ले सकते हैं।
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