टीबी से ठीक हुए चैंपियन को रीच इंडिया द्वारा किया जाता है प्रशिक्षित: चंदन

टीबी से ठीक हुए चैंपियन को रीच इंडिया द्वारा किया जाता है प्रशिक्षित: चंदन
टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं वरदान: सच्चिदानंद

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श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


“टीबी मुक्त भारत” अभियान को सफ़ल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ टीबी बीमारी से ठीक हो चुके टीबी चैंपियन स्थानीय स्तर पर समाज में जागरूकता लाने का काम कर रहे हैं। टीबी के नये मरीजों से वह अपना अनुभव साझा कर टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न तरह के कार्यक्रमों की जानकारी भी दे रहे हैं। जिले के रुपौली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्वालपाड़ा गांव निवासी सुबोध राम का 19 वर्षीय पुत्र सच्चिदानंद कुमार वर्ष 2019 में टीबी के संक्रमण की जद में आ गया था। खांसी के साथ क़भी-क़भी हल्का खून आ रहा था लेकिन एक दिन अचानक काफ़ी मात्रा में खून निकलने लगा। इसके बाद भागलपुर में एक निजी अस्पताल के चिकित्सक  से बलग़म का जांच करवाया गया। जांच से पता चला कि सच्चिदानंद को टीबी हो गई है। रुपौली अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा दवा दी गई। जिसको उसने कई महीने तक खाया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। किसी कार्य को लेकर गांव की आंगनबाड़ी सेविका ललिता देवी इनके घर आई तो घर वालों द्वारा बताया गया कि सच्चिदानंद को टीबी हो गई है। इसके बाद स्थानीय रेफ़रल अस्पताल रुपौली भेज कर फिर जांच कराया गया। जांच रिपोर्ट के बाद बीमारी का पता चला तो विभाग की ओर से निःशुल्क दवा मिली। लगातार 6 महीने तक वह दवा का सेवन करता रहा। इसके साथ ही पौष्टिक आहार के लिए सरकार की ओर से पैसा भी मिलने लगा तो उसी पैसे से फल एवं दूध खाने लगा। अब वह पूरी तरह से ठीक होने के बाद विगत दो वर्षों से मदरौनी बासा, ग्वालपाड़ा, बलिया, बाकी, रुपौली, मैनवा, झलारी एवं डोभा में रीच इंडिया संस्था के साथ जुड़कर स्वास्थ्य विभाग के लिए कार्य कर रहा हैं।

 

टीबी बीमारी से ठीक हुए चैंपियन को रीच इंडिया द्वारा किया जाता है प्रशिक्षित: चंदन
रीच इंडिया के जिला समन्वयक चंदन कुमार ने बताया कि ज़िला यक्ष्मा केंद्र द्वारा समय-समय पर टीबी जैसी संक्रामक बीमारी से लड़ाई लड़ विजयी होने वाले मरीज़ो का चयन टीबी चैंपियन के रूप में किया जाता है। जिला स्तर से टीबी चैंपियन बने लोगों को संस्था की ओर से विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि सामुदायिक स्तर पर ग्रामीणों को इकठ्ठा कर टीबी बीमारी की जानकारी दे सकें और उन्हें जागरूक कर सकें। टीबी के मरीजों की जांच एवं इलाज को लेकर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। जागरूकता से संबंधित कार्यक्रम के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों का सहारा लिया जाता है। ताकि शहर से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रचार प्रसार हो सके।

 

टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं वरदान: सच्चिदानंद
टीबी चैंपियन सच्चिदानंद कुमार ने बताया कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का अहम योगदान है। अमीर हो या गरीब, हर तरह के रोगियों के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क दवा तो मिलती ही है, साथ ही साथ पौष्टिक आहार खाने के लिए पैसा भी मिलता है। यह टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसीलिए लोगों को टीबी जैसे संक्रमण से डरने  की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सरकार की ओर से मरीज़ों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठाकर टीबी जैसी बीमारी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है। अब ठीक होने के बाद दूसरे लोगों को जागरूक करता हूं। सच्चिदानंद कुमार ने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ तो ठीक है, लेकिन इसके लिए गंभीरता के साथ चिकित्सीय परामर्श के अलावा सतर्कता भी जरूरी है। नियमित रूप से पौष्टिक आहार का सेवन लगातार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में अभी भी सामाजिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके बाद ही टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों पर विजय पायी जा सकती है।

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