टीएलएम पर आधारित शिक्षण बच्चों में पैदा हो रही है सीखने की ललक
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के नौनिहालों के पठन-पाठन में शिक्षकों का टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) सीखने की ललक पैदा कर रही है। इसके तहत प्रखंड के एनपीएस शाही तकिया लकड़ी में बच्चों को टीएलएम पर आधारित हिंदी भाषा की सीखाने की प्रक्रिया चली। प्रधानाध्यापिका विंध्यवासिनी देवी की देखरेख में शिक्षक भोला चौरसिया और साजिद अली ने पहली द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ कक्षाओं के बच्चों को भाषा शिक्षण के तहत वर्णमाला के अक्षरों की पहचान व वाक्य रचना सीखायी गयी।
इसके अक्षर-चित्र व चित्रों का सहारा लिया गया। बच्चों को विषयों के कठिन बिंदुओं को शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम) से आसानी से समझाया जा सकेगा.प्रत्येक शिक्षक अपने-अपने विषयों में कठिन पाठों व बिंदुओं को उदाहरण देकर या फिर उससे संबंधित कोई यंत्र या पोस्टर दिखाकर बच्चों को समझाने का प्रयास किया गया। हेडमास्टर विंध्यवासिनी देवी ने बताया कि अधिगम आधारित सिखने-सीखाने की प्रक्रिया के तहत बच्चे उत्साहित नजर आये।
बीइओ शिवशंकर झा ने बताया कि शिक्षा जगत में ऐसे उदाहरणों व उत्पादों को जिनकी मदद से बच्चों को विषय सीखने में आसानी हो या उनमें सीखने की ललक पैदा हो, उन्हें शिक्षण अधिगम सामग्री यानी टीएलएम कहते हैं। उन्होंने बताया कि इसके तहत विद्यालयों में रौनक व बच्चों में उत्साह बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इससे शिक्षक के कार्य को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में सहायता मिलती है।इनके प्रयोग से समय और शक्ति की बचत होती है।
ये रटने की प्रवृत्ति को कम करती है।इससे विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलती है। इससे विद्यार्थियों में कल्पनाशक्ति, निरीक्षण, तर्कशक्ति एवं विचार शक्ति का विकास होता है। ये छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं की पूर्ति करती है। ज्ञानेन्द्रियों के अधिकतम उपयोग पर बल देती है।इससे कक्षा में अनुशासन बढ़ता है क्योंकि ये बच्चों में रुचि पैदा करती है।
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