शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है तीज का त्योहार : डा. नम्रता आनंद 

शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है तीज का त्योहार : डा. नम्रता आनंद

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श्रीनारद मीडिया,  पटना (बिहार):


तीज को महिलाओं का त्योहार कहा जाता है। यह विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है, जो अपने पतियों की भलाई और दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। चारों ओर हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और आनन्द मनाती हैं।तीज के त्यौहार को हरितालिका तीज या कजली तीज भी कहा जाता है।उन्होंने कहा,आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन पार्वती को शिव जी पति के रूप में प्राप्त हुए थे ।

 

पार्वती जी ने शिव जी को प्राप्त करने के लिए धरती पर 107 बार जन्म लिया था, माता पार्वती के कठिन तपस्या करने के बाद जब पार्वती जी ने 108 वें बार धरती पर जन्म लिया तो उन्हें भगवान शिवजी ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।तब से आज तक शिव जी और माता जी के मिलन के याद में तीज का व्रत रखा जाता है, लोगों की मान्यता होती है कि माता पार्वती जी व्रत रखने वाली महिलाओं से खुश होकर महिलाओं के पतियों को लंबी आयु का आशीर्वाद देती है।

 

तीज के त्यौहार को हिंदू महिलाएं बहुत ही पारंपरिक और धूमधाम के साथ मनाती हैं। तीज त्यौहार में लड़कियां और महिलाएं व्रत रखती हैं तथा सोलह श्रृंगार करती हैं।तीज पर्व पर महिलाएं अपने पति तथा परिवार के मंगलमय जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।यह व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि इसमें महिलाओं को खाना तो दूर पानी पीने की भी इजाजत नहीं होती है।

 

हालांकि, कठिन अनुष्ठानों के बावजूद महिलाएं इस व्रत को पूरी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाती हैं।तीज के दिन, महिलाएं अपना बेहतरीन पारंपरिक पोशाक पहनती हैं, चमकदार लाल या हरे रंग की साड़ियाँ पहनती हैं और सुंदर आभूषणों से सजती हैं। वे हाथों में मेहंदी लगाती हैं। वे भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित पूजा करने के लिए मंदिरों या नजदीकी स्थानों पर इकट्ठा होती हैं। महिलाएं पारंपरिक गीत गाने, नृत्य करने और उत्सव का आनंद लेने में भी व्यस्त रहती हैं।

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