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देश के वे दस बड़े रेल हादसे जिनसे दहल उठा था पूरा देश

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास आज एक बड़ा रेल हादसा हुआ है। सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। रेल हादसे में ट्रेन के दो डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे अब तक 15 लोगों की जान जा चुकी है। रेल हादसे में 60 लोग घायल भी हुए हैं। बीते कुछ सालों में कई रेल हादसे हुए जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आइए उनके बारे में बताते हैं.

बिहार का सहरसा पैसेंजर ट्रेन हादसा, 800 लोगों की मौत

6 जून 1981 को भारत की सबसे भयानक रेल दुर्घटना हुई थी। इसमें 800 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बिहार में मानसी-सहरसा पैसेंजर ट्रेन पटरी से उतर गई और नदी में गिर गई थी।

बालासोर रेल हादसा

ओडिशा के बालासोर में पिछले साल 2 जून को बड़ा रेल हादसा हुआ था, जिसे हर किसी के लिए भूल पाना बेहद मुश्किल है। दरअसल, चेन्नई से हावड़ा जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी।

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टक्कर के बाद कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरी से उतरकर पास वाली रेल लाइन से गुजर रही यशवंतपुर हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गए। हादसे में 296 लोग मारे गए और हर ओर चीख पुकार मच गई थी। इसमें 1200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसे की वजह को गलत सिग्लन देना माना गया।

इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल हादसा, 146 की गई जान

साल 2016 के नवंबर महीने में यूपी में इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का शिकार बन गई थी। कई डिब्बे पटरी से उतर जाने से 146 लोगों की मौत हो गई थी। हासदे के दौरान डिब्बे आपस में टकरा गए थे।

झारग्राम में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस रेल हादसा

28 मई साल 2010 को बंगाल के झारग्राम में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के मालगाड़ी से टकराने से बड़ा रेल हादसा हुआ था। हादसे में 146 लोग मारे गए और 200 से ज़्यादा घायल हो गए। अधिकारियों ने इस हादसे के पीछे माओवादी विद्रोहियों का हाथ बताया था।

राजधानी एक्सप्रेस के डिब्बे नदी में गिरे

साल 2002 में भी एक भयानक रेल हादसा हुआ था। कलकत्ता से नई दिल्ली जा रही लग्जरी राजधानी एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे उफनती धाबी नदी में गिर गई, जिसमें कम से कम 120 लोग मारे गए।

मुंबई के लोकल ट्रेन में बम धमाके

11 जुलाई 2006 को मुंबई के लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों ने सभी को दहला दिया था। यहां मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक 7 बम धमाके हुए थे। आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों में 186 लोग मारे गए थे और 700 घायल हो गए। सरकार ने इसके लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को दोषी ठहराया था।

अवध असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल में टक्कर, 285 की मौत

2 अगस्त 1999 को पश्चिम बंगाल के गैसल में अवध असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल में टक्कर में 285 लोग मारे गए थे। हासदे में 312 घायल भी हुए थे।

जम्मू तवी-सियालदाह एक्सप्रेस हादसा

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26 नवंबर 1998 को पंजाब में जम्मू तवी – सियालदाह एक्सप्रेस और फ्रंटियर मेल की टक्कर में 210 लोग मारे गए थे।

फिरोजाबाद में दो ट्रेनों के बीच टक्कर

1995 में आगरा के पास हुए रेल हादसे में 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। आगरा के पास फिरोजाबाद में कालिंदी एक्सप्रेस और पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई थी। नीलगाय के कारण ट्रैक पर अवरोध पैदा हुआ, जिसके बाद पीछे से टक्कर हो गई और 344 लोग घायल हो गए।

महबूबनगर ट्रेन हादसा

23 नवंबर 1956 को बाढ़ के कारण पुल टूटने से हैदराबाद से 100 किमी. दूर ट्रेन मरुदयार नदी में गिर गई थी। इसमें कम से कम 154 लोग मारे गए और 115 घायल हो गए।

पश्चिम बंगाल में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे में अभी तक 15 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 60 लोग घायल हैं। अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन को एक मालगाड़ी ने न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से करीब 30 किमी दूर टक्कर मार दी। मालगाड़ी ने यात्री ट्रेन को पीछे से टक्कर मारी। हादसे में ट्रेन के दो चालक और एक गार्ड की भी जान गई है।

नहीं लगा था कवच सिस्टम

रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष एवं सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने जानकारी दी है कि दिल्ली-और गुवाहटी रेल लाइन और पश्चिम बंगाल में कवच (ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) अभी रेल ट्रैक पर नहीं लगा है। यह रूट अगले साल के प्लान में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक पूरे देश में 1500 किमी ट्रैक पर कवच काम कर रहा है। इस साल करीब तीन हजार किमी ट्रैक पर और लग जाएगा। 2025 में भी तीन हजार किमी ट्रैक पर कवच को लगाने का प्लान है। उन्होंने कहा कि कवच बनाने वालों से उत्पादन में तेजी लाने का आग्रह करेंगे।

सिग्नल की अनदेखी… नहीं रोकी मालगाड़ी

जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि प्रथम दृष्टया हादसे की वजह मानवीय भूल प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। उनको रुकने का सिग्नल दिया गया था लेकिन उन्होंने गाड़ी को आगे बढ़ा दिया। प्रारंभिक आधार पर यही वजह लग रही है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश मालगाड़ी के चालक की जान भी चली गई है। इस वजह से हमारे पास अभी कोई दूसरा प्रामाणिक तरीका नहीं है। अधिक जानकारी जांच के बाद ही सामने आएगी।

 

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