ठाकुर आग हैं भड़काओ मत-जदयू नेता
मनोज झा की ‘कविता’ पर राजपूतों ने छेड़ा संग्राम
मनोज झा अपने बयान पर अविलंब ठाकुरों से माफी मांगें, वरना हश्र बुरा होगा!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राजद राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा संसद में सुनाई गई ठाकुरों पर एक कविता को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। राजद नेता चेतन आनंद सिंह के बाद अब जदयू के विधान पार्षद संजय सिंह ने चेतावनी दी है कि ठाकुर आग हैं, उनसे पंगा मत लीजिए। उन्होंने कहा कि ठाकुरों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वीर कुंवर सिंह मैदान में बुधवार को महाराणा प्रताप फाउंडेशन का क्षत्रीय सम्मेलन जदयू विधान पार्षद संजय सिंह की अगुवाई में हुआ। इसे संबोधित करते हुए विधान पार्षद ने कहा कि हमारा इतिहास आत्मसम्मान से समझौता करने वाला नहीं रहा है। हम आत्मसम्मान के लिए अपना सिर देने में भी पीछे रहने वाले लोग नहीं हैं। उन्होंने राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा को संसद में दिए एक बयान पर आड़े हाथों लिया।
जदयू नेता संजय सिंह ने कहा कि जिस तरह उन्होंने (मनोज झा) ने ठाकुरों के खिलाफ बयान दिया है, वह निश्चित तौर पर निंदा के पात्र हैं। उन्होंने कहा, ”हमको लगता है कि मनोज झा नकली डिग्री लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गए हैं। इसलिए वे इस तरह की बातें करते हैं, वे दया के पात्र हैं।”
ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा
उन्होंने कहा, ”मैं मनोज झा को चेतावनी देता हूं कि ठाकुर वो आग है, जो लग जाए अगर तो बुझाने के लिए दमकल को भी नहीं पानी मिलेगा। इसलिए कहता हूं कि इस तरह के बयान मत दो और आग को भड़काओ मत, आग भड़कने से मुश्किल होगी। मैं स्पष्ट करता हूं कि अगर इस तरह के बयान देंगे तो उनको ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।”
संजय सिंह ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार सभी को साथ लेकर राजनीति करने वाले हैं। वे अगड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, दलित, महादलित सब को साथ लेकर चलने वाले हैं। नीतीश कुमार समाज को बांटने का काम नहीं करते हैं।
क्या हमने भगवान से की थी प्रार्थना ?
राजद की ओर से कहा गया है कि बयान की गंभीरता को नहीं समझा जा रहा है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अच्छा, मनोज झा किस पर बोले… ठाकुर किस जाति में आते हैं। हम कोई भगवान प्रार्थना नहीं किए थे, एप्लीकेशन नहीं दिया था कि हमको ठाकुर जाति में ही पैदा किया जाए।
उन्होंने कहा कि लगता है राजद सांसद मनोज झा ब्राह्मण कुल में पैदा नहीं हुए हैं। वरना वो जानते कि ठाकुर हमेशा ब्राह्मण को गले लगाते हैं, उनके पैर छूते हैं। मनोज झा ऐसा अमर्यादित बयान न दें। राजद सांसद अपने बयान पर अविलंब ठाकुरों से माफी मांगें। नहीं तो इसका हश्र काफी बुरा होगा। जदयू एमएलसी ने कहा कि हम घास की रोटी खाने वाले महाराणा प्रताप के वंशज हैं।
आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा संसद में ओम प्रकाश बाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ पढ़े जाने पर बिहार में सियासी संग्राम खड़ा हो गया है। ऐसा लग रहा है कि बिहार की राजनीति ठाकुर के कुंए में उतर आई है।
राजद के सांसद डॉ. मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के समय राज्यसभा में इस कविता का पाठ किया था। पांच दिन बाद राजद और जदयू के कुछ राजपूत नेताओं को लग रहा है कि कविता से उनकी बिरादरी का अपमान हो गया है।
सांसद मनोज झा को आशंका थी कि इस कविता को लेकर विवाद जरूर होगा। उन्होंने कविता पढ़ने से पहले स्पष्ट कर दिया था कि इसके प्रतीक किसी जाति विशेष से नहीं जुड़े हैं। यह ठाकुर हम में है, हम सभी में है। न्यायालय में है। विश्वविद्यालय में है। संसद की दहलीज पर है। संसद में है।
यह है कविता
चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का। भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का,हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी,फसल ठाकुर की। कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के,
गली-मुहल्ले ठाकुर के। फिर अपना क्या? गांव? शहर? देश?
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