देश की 16वीं जनगणना डिजिटल तरीके से की जाएगी,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
डिजिटल की दिशा में बढ़ रहे देश में अब ई-जनगणना होगी। असम दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसका एलान किया है। अमित शाह ने कहा कि डिजिटल माध्यम से की गई जनगणना की कवायद से 100 फीसदी सटीक गणना की उम्मीद की जा सकती है। गृहमंत्री का कहना है कि जनगणना कई मायनों में अहम है। उनका कहना है कि देश की विकास योजनाओं के बेहतर नियोजन के लिए सटीक गणना महत्वपूर्ण है।
जानिए क्या होती है डिजिटल जनगणना
देश की 16वीं जनगणना डिजिटल तरीके से की जाएगी। अब तक, इस प्रक्रिया में हर घर का दौरा करना और फार्म भरना शामिल था। इस बार, घर-घर जाने वाले कर्मियों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होंगे जिनके जरिए वो डिजिटल रूप से जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए स्व-गणना का प्रावधान है, आंकड़ों के संग्रह के लिए एक मोबाइल ऐप और जनगणना से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए एक जनगणना पोर्टल है।
कैसे की जाएगी डिजिटल जनगणना
– एक बार जनगणना पोर्टल खुल जाने के बाद, व्यक्ति अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके लाग इन कर सकता है और अपना विवरण भर सकता है।
– जनगणना पोर्टल में व्यक्तियों को जनसंख्या गणना के लिए फार्म भरना होगा।
– विभिन्न विकल्पों को भरने के लिए स्क्रीन पर कोड डिस्प्ले होंगे।
– एक बार स्व-गणना हो जाने के बाद, मोबाइल पर एक पहचान संख्या भेजी जाएगी।
– जब जनगणनाकर्मी घर-घर जाएंगे तो उनके साथ वह आईडी नंबर साझा किया जा सकता है, जो पहले से भरे हुए सभी डेटा को अपने आप आनलाइन सिंक कर देगा।
निर्मला सीतारमण ने की थी डिजिटल जनगणना की घोषणा
बता दें कि 1 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार देश में डिजिटल जनगणना किए जाने की घोषणा की थी। साथ ही उन्होंने बजट में इसके लिए 3,726 करोड़ रुपयों का आवंटन भी किया था। जुलाई 2021 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया था कि कोरोना महामारी की वजह से 2021 की जनगणना और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया।
गौरतलब है कि केंद्र ने जनगणना को 2 चरणों में आयोजित करने का फैसला लिया था, जिसमे पहले चरण में अप्रैल से सितंबर 2020 तक के दौरान मकान सूचीकरण और आवास जनगणना किया जाना था, तो वहीं दूसरी जनगणना 9 से 28 फरवरी, 2021 के दौरान जनसंख्या गणना होनी थी। आपकों बता दें कि भारत में जनगणना की शुरुआत 1881 में हुई थी। भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत में 1951 से 2011 तक की जनगणना में हुई है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, तब मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव जैसे बड़े नेताओं ने जाति आधारित जनगणना की मांग की थी। 1931 में आखिरी बार जाति के आधार पर जनगणना हुई थी।
- जनगणना वह प्रक्रिया है, जिसके तहत एक निश्चित समयांतराल (भारत में प्रत्येक दस वर्ष की अवधि में) पर किसी भी देश में एक निर्धारित सीमा में रह रहे लोगों की संख्या, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से संबंधित आँकड़ों को इकट्ठा कर, उनका अध्ययन किया जाता है तथा संबंधित आँकड़ों को प्रकाशित किया जाता है।
- भारत अपनी ‘अनेकता में एकता’ के लिये जाना जाता है। जनगणना देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, जनसंख्या आदि से संबंधित आँकड़ों के माध्यम से नागरिकों को देश की इस विविधता और इससे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- प्राचीन साहित्य ‘ऋग्वेद’ में 800-600 ई०पू० में जनगणना का उल्लेख किया गया है।
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र (लगभग 321-296 ई०पू०) में कराधान (Taxation) के उद्देश्य से जनगणना को राज्य की नीति (State Policy) में शामिल करने पर बल दिया गया है।
- मुगल काल में अकबर के शासन के दौरान प्रशासनिक रिपोर्ट “आईन-ए-अकबरी’ में जनसंख्या, उद्योगों और समाज के अन्य पहलुओं से संबंधित विस्तृत आँकड़ों को शामिल किया जाता था।
- भारत में पहली जनगणना गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासनकाल में वर्ष 1872 में की गई थी। हालाँकि देश की पहली जनगणना प्रक्रिया को गैर-समकालिक (देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग समय पर) रूप से पूर्ण किया गया। वर्ष 1881 में पहली बार पूरे देश में एक साथ जनगणना कराई गई।
- जनगणना-2021 अब तक की 16वीं (वर्ष 1872 से) और देश की स्वतंत्रता के बाद से 8वीं जनगणना होगी।
जनगणना की विशेषताएँ:
- डिजिटल प्रक्रिया: देश की जनगणना के इतिहास में पहली बार जनगणना के आँकड़ों को मोबाइल एप (जो कि जनगणनाकर्मी के मोबाइल में इंस्टाल होगा) के माध्यम से डिजिटल रूप में एकत्र किया जाएगा। यह एप बिना इंटरनेट के ऑफलाइन भी काम करेगा। इस व्यवस्था से जनगणना प्रक्रिया में होने वाले विलंब की समस्या को दूर किया जा सकेगा और जनगणना के परिणाम तुरंत प्राप्त किये जा सकेंगे। जबकि पिछले वर्षों में हुई जनगणना के आँकड़ों के मूल्यांकन और इससे जुड़ी रिपोर्ट को प्रकाशित करने में वर्षों लग जाते थे।
- जनगणनाकर्मी द्वारा अपने मोबाइल पर एकत्र की गई जानकारी को जनगणना अधिकारी द्वारा पंजीकृत किया जाएगा। यदि नेटवर्क की उपलब्धता या किसी तकनीकी समस्या के कारण जनगणना के कार्य में कोई रूकावट आती है, तो जनगणनाकर्मी के पास यह विकल्प भी होगा की वह विभाग से प्राप्त आधिकारिक प्रपत्र के माध्यम से भी जनगणना के आँकड़े एकत्र कर सकेगा, जिसे बाद में एप पर दर्ज किया जा सकता है।
- जनगणना के लिये नागरिकों को प्रमाण के रूप में कोई भी प्रपत्र (पहचान-पत्र आदि) दिखाने की ज़रूरत नहीं होगी, इसके लिये नागरिक द्वारा की गई स्व-घोषणा ही पर्याप्त होगी।
- जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल: जनगणना की प्रक्रिया को आसान बनाने एवं इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी। इस पोर्टल के माध्यम से जनगणना में लगे कर्मचारियों और पदाधिकारियों को कम समय तथा अलग-अलग भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
- जाति आधारित जनगणना नहीं: आगामी जनगणना में (वर्तमान योजना के अनुसार) जाति आधारित जानकारी नहीं मांगी जाएगी। यद्यपि जनगणना-2011 के सामानांतर ही सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (Socio-Economic Caste Census-SECC) भी की गई थी परंतु इससे प्राप्त आँकड़ों/जानकारी को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
- ट्रांसजेंडर की पहचान: जनगणना-2021 में पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की जानकारी, उनकी पहचान के साथ दर्ज की जाएगी, पूर्व की जनगणनाओं में केवल महिला या पुरुष का ही विकल्प शामिल किया गया था।
- डिजिटल प्रक्रिया: देश की जनगणना के इतिहास में पहली बार जनगणना के आँकड़ों को मोबाइल एप (जो कि जनगणनाकर्मी के मोबाइल में इंस्टाल होगा) के माध्यम से डिजिटल रूप में एकत्र किया जाएगा। यह एप बिना इंटरनेट के ऑफलाइन भी काम करेगा। इस व्यवस्था से जनगणना प्रक्रिया में होने वाले विलंब की समस्या को दूर किया जा सकेगा और जनगणना के परिणाम तुरंत प्राप्त किये जा सकेंगे। जबकि पिछले वर्षों में हुई जनगणना के आँकड़ों के मूल्यांकन और इससे जुड़ी रिपोर्ट को प्रकाशित करने में वर्षों लग जाते थे।
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