प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा उर्फ़ मम्मा की मनाई गई 59 वीं स्मृति दिवस
सामने वाली आत्मा का मन पवित्र और शांत करने वाली मम्मा सर्वगुण संपन्न के रूप कर चुकी थी स्थापित: बीके अनामिका
श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):
मातेश्वरी जगदंबा ऊर्फ मम्मा का व्यक्तित्व सर्वगुण संपन्न होने के साथ ही उन्होंने ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली थी कि उनकी मात्र एक दृष्टि से सामने वाली आत्मा का मन पवित्र और शांत हो जाता था। जैसा कि भक्तगण, देवियों का पूजन करते हैं, मम्मा यथार्थ रूप से उन 9 शक्तियों से परिपूर्ण थीं। जिनका उपयोग उन्होंने अन्य आत्माओं के उद्धार के लिए किया था। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय छपरा इकाई की संचालिका बीके अनामिका दीदी ने मम्मा की 59 वीं स्मृति दिवस को याद करते हुए कही। ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू की स्थानीय इकाई शहर के गुदरी राय के चौक स्थित आश्रम में महान तपस्वी आत्मा जगदंबा मातेश्वरी ऊर्फ मम्मा को याद करते हुए ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय छपरा की संचालिका बीके अनामिका दीदी ने कहा कि छपरा सेवा केंद्र से जुड़े ब्राह्मण कुलभूषण भाई एवं बहनों की उपस्थिति में सोमवार को जगदंबा मातेश्वरी उर्फ मम्मा जी की पुण्य स्मृति दिवस के अवसर पर सुबह की शुरुआत विशेष मुरली क्लास से हुई जबकि उसके बाद मम्मा के लिए विशेष रूप से योग भट्टी का आयोजन किया गया।
प्रजापिता ब्रह्मा का दाहिना हाथ के रूप में अपने आपको स्थापित करने वाली मम्मा को किया गया याद:
बीके अनामिका दीदी ने बताया कि मम्मा के आशीर्वचन प्रेरणादायक व जीवन परिवर्तक था। मम्मा यज्ञ सेवा में प्रजापिता ब्रह्मा का दाहिना हाथ के रूप में अपने आपको स्थापित कर चुकी थीं। क्योंकि सेवाओं के दौरान मम्मा की मुरली रिकॉर्ड की जाती थी। उनकी वाणी और शब्दों में जादुई प्रभाव था। जिस कारण 28 वर्ष के निरंतर ज्ञान मंथन व तीव्र पुरुषार्थ के बाद, जून 1965 में मम्मा संपूर्ण बन गयी और विश्व परिवर्तन के महान कार्य अर्थ, शिव बाबा का दाहिना हाथ बन सूक्ष्म वतन तक उड़ गयीं। ब्राह्मण परिवार में आज भी प्रेरणा के लिए मम्मा का जीवन, उनके गुण, वचन व कर्म याद किया जाता हैं। मम्मा का लौकिक जन्म 1920 में एक मध्यम वर्गीय परिवार में माता रोचा व पिता पोकरदास के घर पंजाब के अमृतसर में हुआ था। मम्मा यज्ञ के शुरुआती दिनों में आयीं और मुरली सुनते ही परमात्मा की सेवा में समर्पित हो गयीं। 17 वर्ष की अल्पायु में ही मम्मा आध्यात्मिक रूप से परिपक़्व हो गयीं एवं यज्ञ की जिम्मेदारियों को अपने हांथों में ले लिया।
इस अवसर पर बीके अशोक भाई, वरीय पत्रकार धर्मेंद्र रस्तोगी, बीके अर्जुन भाई, बीके देवव्रत भाई, बीके राजा भाई, बीके वीना बहन, बीके प्रियांशु बहन, बीके पूनम बहन, बीके अर्पणा बहन, बीके अलका बहन, बीके लवली बहन, बीके ज्योति बहन, बीके सोनिया बहन, बीके तुंपा बहन, बीके पिंकी, प्रिया सहित कई अन्य भाई और बहने उपस्थित रही।
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