प्रख्यात लेखक, चिंतक जॉर्ज ऑरवेल की मोतिहारी नगर में रोटरी क्लब द्वारा 73 वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अगर आप नहीं चाहते कि मृत्यु के बाद आपकी स्मृति को तत्काल भूला दिया जाए तो कुछ ऐसा लिखिए जो पढ़ने लायक हो या कुछ ऐसा कीजिए जो लिखने लायक हो।
जी हां यह पंक्तियां सटीक रूप से जॉर्ज ऑरवेल पर जाकर ठहरती हैं। उन्होंने ऐसा लिख दिया है जो एक दो नही आने वाली कई पीढ़ियां इससे अपने को गढती रहेंगी, इसलिए इन कृतियों को हम कालजयी कृति कहते हैं। जॉर्ज ऑरवेल का पूरा नाम एरिक अतुर बलेर था, उनका जन्म 25 जून 1903 को मोतिहारी नगर में हुआ था क्योंकि उनके पिता ब्रिटिश राज के भारतीय सिविल सेवा अधिकारी थे, वही जार्ज ऑरवेल का निधन 21 जनवरी 1950 को ग्रेट ब्रिटेन में हुई थी।
जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली पार्क के रोटरी क्लब क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार में अंग्रेजी व हिंदी विभाग के छात्रों ने जॉर्ज ऑरवेल के जीवन परिचय, उनकी रचना पर गहन विचार विमर्श करते हुए अपनी बात रखी। छात्रों का कहना था की भाषा की समाज में अहम स्थिति होती है। भाषा से समाज कैसे प्रभावित होता है, इसे अगर समझना है तो आप जॉर्ज ऑरवेल की रचनाओं को पढ़ें।
जॉर्ज मानवता के पत्रकार थे, भले ही वह अंग्रेज थे लेकिन विकासशील देशों की समस्या को समझते थे। बिहार के मोतिहारी में उनका जन्म गरीबी को समझने में बहुत कारगर साबित हुई। जॉर्ज 46 वर्ष में तो काल- कवलित तो हो गये लेकिन उनकी कृति की चर्चा आज हम 73 वर्ष बाद भी कर रहे हैं। अगर अंग्रेजी में गद्य विधा को सीखना है तो जॉनाथन स्विफ्ट और जॉर्ज को पढ़ना होगा। जॉर्ज मानते थे कि जो संवेदनशीलता समाज में है वह राजनेता व संस्था में भी होनी चाहिए, तभी यह समाज आगे बढ़ेगा।
कहते हैं भाषा विचारों को आकार देती है, अगर आप समाज के लिए कुछ नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि आपका ज़मीर मर चुका है। वे अपने लेखन में कहते हैं कि सारे लोग बराबर हैं लेकिन कुछ लोग बाकियों से ज्यादा बराबर है। आप स्वीकार कर लीजिए कि हमारा जीवन दुख में,श्रमसाध्य और छोटा होगा। इसे आप जितना जल्दी समझ जाएं आपके लिए अच्छा होगा। यदि स्वतंत्रता का कोई मतलब है तो वह यह है कि लोगों को यह सब बताने का अधिकार है जो वह सुनना नहीं चाहते।
धरती पर मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो बिना उत्पादन के सब कुछ का उपभोग करना चाहता है। हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही है तो इससे क्या फ़र्क पड़ता है जिंदगी पहले भी बेदर्द थी और आगे भी रहेगी। मनुष्य को सभी प्राणियों से अलग पहचान देता है उसके दोनों हाथ, यही वह यंत्र मनुष्य के पास है जिससे वह सारे बुरे काम को कर डालता है। समाज में एक ही नारा है हम सब भाई-भाई हैं चाहे हम कमजोर हो, ताकतवर हो, चतुर हो, चलाक हो, सरल हो।
मुझे किसी की जान लेने का कोई शौक नहीं है लेकिन लोग मारे जाते हैं क्योंकि ईश्वर सबके साथ है, इसलिए आप का संकल्प सुदृढ़ होना चाहिए ताकि कोई आपको भटका ना सके, मूर्ख बना ना सके। एमजीसीयूबी के छात्रों और शोधार्थियों में संजना, आकाश, अनुभव, जाह्नवी, कृष्ण कुमार,तापस सरकार, जय कुमार व रश्मि सिंह ने अपने उद्बोधन से पूरे वातावरण को जॉर्ज ऑरवेल मय बना दिया और उनकी कृतियों के सुगंध से वातावरण को मुगध कर दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मोतिहारी की मेयर प्रीति कुमारी ने कहा कि जॉर्ज ऑरवेल के लेखन पर बिहार की गरीबी का असर है। आज से लगभग 80 साल पहले जार्ज ने लिख दिया था कि मनुष्य पर मशीन हावी होगा, हम सीसीटीवी,मोबाइल जैसे यांत्रिक चीजें हमें नियंत्रित करेंगी, आज वह समय आ गया है।
मोतिहारी के उप मेयर लालबाबु ने कहा कि यहां की जनता ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर बड़ा आंदोलन किया था और विश्वविद्यालय की सथापना हुई। आज आप छात्रों के प्रति हम आभार व्यक्त करते हैं कि आपने इतनी अच्छी जानकारी जॉर्ज ऑरवेल के बारे में हम सभी को दी । मुंशी सिंह महाविद्यालय में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर इकबाल हुसैन ने सभी अतिथियों को जॉर्ज ऑरवेल के बारे में अपनी लिखित पुस्तक को भेंट किया।
नगर के समाजसेवी व रोटरी क्लब के देव प्रिया मुखर्जी ने इस कार्यक्रम को आयोजित किया। इस मौके पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. विमलेश कुमार सिंह,मोतिहारी नगर स्थित मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अरुण तिवारी, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर इकबाल हुसैन सहित नगर के कई गुणीजन भारी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।
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