हृषिकेश सुलभ की उपलब्धि ने बढ़ाया सीवान का गौरव

हृषिकेश सुलभ की उपलब्धि ने बढ़ाया सीवान का गौरव

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

महामहिम राष्ट्रपति महोदया ने सीवान के लहेजी निवासी हृषिकेश सुलभ को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान मेधा की धरती रही है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सहित अन्य सीवान की मेधा शक्ति समय – समय पर अपनी उपलब्धियों से सीवान के मान को बढ़ाती रहती है। अभी हाल ही में सीवान के लहेजी गांव के मूल निवासी प्रख्यात नाटककार और कहानीकार श्री हृषिकेश सुलभ को महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया है।

इन्हें भी मिला पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी द्वारा गुरुवार को बिहार के चर्चित कलाकारों को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। इन हस्तियों में बिहार के जाने माने रंगकर्मी ऋषिकेश सुलभ, वरिष्ठ अभिनेता नीलेश मिश्रा, लोक गायिका रंजना झा, ठुमरी गायिका कुमुद झा, दीवान और वरिष्ठ नाट्य निर्देशक मिथिलेश राय शामिल हैं। सभी कलाकारों को अपनी अपनी अलग-अलग कलाओं के लिए अलग-अलग वर्षों के पुरस्कार से नवाजा गया है जिसमें संगीत नाटक अकादमी ने 2019, 20 और 21 के पुरस्कार के लिए कलाकारों को रंगमंच नृत्य तथा संगीत के लिए चुना है।

पूर्व में मिला कथाक्रम पुरस्कार भी

श्री सुलभ को कुछ महीनों पूर्व ही सुप्रतिष्ठित कथाक्रम सम्मान देने की घोषणा की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी सम्मानित प्रतिष्ठित कहानीकार को दिया जाता है। इस सम्मान से अब तक मैत्रैयी पुष्पा, काशीनाथ सिंह, ओम प्रकाश वाल्मीकि जैसे साहित्यकार सम्मानित हो चुके हैं। हाल ही में लायंस क्लब सीवान ने भी श्री सुलभ को सीवान सृजन सम्मान से सम्मानित किया था। श्री सुलभ की हालिया उपलब्धि ने सीवान को गौरांवित होने का सुअवसर उपलब्ध कराया है।

साहित्य प्रेमियों के हृदय से संवाद कायम करने में उनकी लेखनी सिद्धहस्त

श्री हृषिकेश सुलभ की साहित्यिक साधना ने हिंदी साहित्य में संवेदनशीलता की एक नई बयार बहाई है। उनकी साहित्यिक सृजनात्मकता आम पाठकों के हृदय से संवाद करती है। आमजन की जिंदगी के विभिन्न आयामों को उनकी लेखनी बेहद संवेदनशील तरीके से उजागर करती है। उनकी रचनाओं को पढ़ते समय पाठक उनके शब्दों की लय, भावों की आत्मीय अभिव्यक्ति और यथार्थ के सवालों की त्रिवेणी में बस बहता चला जाता है। उसे होश तब आता है, जब उनकी कहानी और नाटक अपने समापन बिंदु तक पहुंच जाते हैं।

बेहद संजीदगी से भावों को कर जाते व्यक्त

अपने शब्दों से आत्मीय संवाद कायम करने के लिए श्री सुलभ विशेष तौर पर जाने जाते हैं। समाज की विसंगतियों को श्री सुलभ इतनी सहजता और सरलता से पेश करते हैं कि पाठक का हृदय उन विसंगतियों के प्रति मुखर हो उठता है। श्री सुलभ के व्यक्तित्व की विनम्रता और व्यवहार की सौम्यता के साथ उनकी लेखनी भी कहानीकार और नाटककार के तौर पर उनकी सृजनात्मकता का श्रृंगार करती ही नजर आती है। माध्यम वर्ग, गांव, शहर की बातों को श्री सुलभ अपनी कहानियों में बेहद संजीदगी से बयां करने में सफल रहते आए हैं।

साहित्यप्रेमियों के लिए अदभुत सौगात उनकी रचनाएं

उनकी रचनाओं में उनके जीवन का अनुभव साहित्यप्रेमियों के लिए एक सुखद सौगात ही साबित होता है। उनके कहानी संग्रह वसंत के हत्यारे, तूती की आवाज, बंधा है काल आदि तथा नाटक धरती आबा, बटोही, अमली आदि उनके सृजनात्मक कलेवर का सुंदर परिचय तो कराते ही हैं। उनकी कालजयी रचना दाता पीर पाठकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव ही होता है। उन्होंने संस्कृत के नाटक मृच्छ कटिकम का हिंदी में अनुवाद माटी गाड़ी के नाम से किया।

देसी भाव को नाटकों में समाहित करने में अतुल्य योगदान

श्री सुलभ ने नाटककार के तौर पर सृजन के लिए भिखारी ठाकुर की बिदेशिया की शैली पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया। आधुनिक रंगमंच के लिए उनका यह योगदान सदैव स्मरण किया जायेगा। इनके प्रसिद्ध नाटक ‘ बटोही’ का मंचन भी हाल ही में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा किया गया है। नाटकों में देसी भाव को समाहित करने में श्री सुलभ का योगदान अतुल्य रहा है। समय समय पर पत्र पत्रिकाओं में अपने विशेष आलेखों के माध्यम से भी श्री सुलभ अपने सार्थक विचारों को प्रस्तुत करते रहे हैं। श्री सुलभ जो कहानी, कथानक, चरित्र, भाव के बीच एकात्म तत्व का समावेश कर पाते हैं वह अद्भुत ही होता है।

साहित्यप्रेमियों के हृदय में स्थान से बड़ा सम्मान क्या हो सकता है?

समय समय पर श्री सुलभ को मिलने वाले सम्मान श्री सुलभ की सृजनात्मक तेवर को सराहते रहे हैं। चाहे वो 16 वाँ इन्दु शर्मा अंतरराष्ट्रीय कथा सम्मान हो या बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, या हो रामबृक्ष बेनीपुरी सम्मान या हाल में मिला कथा क्रम सम्मान या भविष्य में मिलने वाले अन्य सम्मान। श्री सुलभ अपनी कहानियों और नाटकों के माध्यम से जो जगह पाठकों के हृदय में बनाते जा रहे हैं। शायद उस सम्मान से बड़ा सम्मान भला किसी साहित्यकार के लिए और क्या हो सकता है?

व्यक्तित्व की सरलता, सहजता और समानुभूति का श्रेय देते हैं पिता को

श्री हृषिकेश सुलभ का जन्म सीवान के लहेजी गांव में 15, फरवरी 1955 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई। बचपन से ही उन्हें रंगमंच से विशेष लगाव था। उनके पिता श्री रमाशंकर श्रीवास्तव स्वतंत्रता सेनानी थे और होम्योपैथिक डॉक्टर के तौर पर भी समाज की सेवा करते थे। श्री सुलभ अपने व्यक्तित्व की सरलता, सहजता, समानुभूति के तथ्य के लिए श्रेय अपने पिता को देते रहे हैं। श्री सुलभ ऑल इण्डिया रेडियों के लिए कार्यरत रहे और अपने साहित्य साधना के सफर को अनवरत कायम रखे रहे।

शानदार सीवान श्री सुलभ को राष्ट्रपति द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिलने पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता है तथा उम्मीद करता है कि श्री सुलभ की लेखनी भविष्य में भी अपने सृजनात्मक अंदाज में साहित्यप्रेमियों से आत्मीय संवाद कायम करती रहेगी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!