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Siwan में 16 साल से नियोजन पत्र लेकर घुमते घुमते मर गया आवेदक, लेकिन नहीं हुआ शिक्षक पद पर योगदान - श्रीनारद मीडिया

Siwan में 16 साल से नियोजन पत्र लेकर घुमते घुमते मर गया आवेदक, लेकिन नहीं हुआ शिक्षक पद पर योगदान

Siwan में 16 साल से नियोजन पत्र लेकर घुमते घुमते मर गया आवेदक, लेकिन नहीं हुआ शिक्षक पद पर योगदान

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आकंठ भ्रष्‍टाचार में  शिक्षा विभाग और प्रशासन तंत्र  को डूबने से हार गया तेज नारायण

नियोजन पत्र हाथ में होने के बावजूद भी नौकरी के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाता रहा एक असहाय

योगदान के लिए  सर्वप्रथम मांगा गया था पांच हजार रूपया,

वर्ष 2020 में योगदान के लिए उससे मांगा गया एक लाख रूपया

सब्‍जी बेंचकर इस भ्रष्‍ट सिस्‍टम से लड़ते लड़ते मर गया तेजनारायण

16 वर्ष में कितने डीएम, डीईओ, बीडीओ, बीईओ आये लेकिन भ्रष्‍टाचार से तेजनारायण को नहीं दिला सके न्‍याय

इस भ्रष्‍ट तंत्र से  मौत तक पहुंचे तेज नारायण की आत्‍मा आज भी भटक रही होगी

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)

“मेरा भारत महान” एक ऐसा स्लोगन जिसे गाते ही दिल जज्बात से लबरेज हो जाता है और हमेशा एक ही सवाल कानों में गूंजता रहता हैं । “सच में” क्या  हमारा सिस्टम हमारे देश को इतना महान बना पाया है कि हम निःसंदेह कह सके की “मेरा भारत महान”। आइये आज हम अपने महान देश के महान कार्यपालिका को समझते है। नाम:-तेज नारायण साह, घर:-रघुनाथपुर, जिला:-सीवान, बिहार के रघुनाथपुर प्रखण्ड अन्तर्गत नरहन पंचायत के खाप धनौती स्थित कन्या मध्य विद्यालय में बतौर शिक्षक 2003 मे नियोजन होता हैं और नियोजन इकाई नियोजन प्रमाण पत्र देती हैं। तेज नारायण साह नियोजन प्रमाण पत्र लेकर प्रधानाध्यापक के पास योगदान करने के लिए जाते हैं तो रिश्वत के रूप में डिमांड होती हैं 5 हजार रुपये।

अब साह के पास तो पैसे थे नही तो वो घर को लौट आया और फिर अगले दिन नियोजन इकाई के पास गया.तो मुखिया और पंचायत सचिव कहते हैं की सब दे रहे हैं आप भी इंतजाम कीजिये। साह वापस घर लौट जात है। अब साल आता है “2005” बिहार सरकार फिर से शिक्षक नियोजन करती हैं और फिर तेज नारायण साह उसी कन्या मध्य विद्यालय में आवेदन करता हैं और फिर से नियोजन इकाई उनका नियोजन कर प्रमाण पत्र देती हैं। साह एक बार फिर उसी विद्यालय में उसी हेडमास्टर के पास योगदान करने के लिए जाता है तो इस बार महंगाई का हवाला देते हुए बतौर घुस 10 हजार रुपये मांगे जाते हैं।तेज नारायण साह ने फिर पैसे नही होने का रोना रोकर लौट गए.फिर “प्रखंड़ शिक्षा कार्यालय” तो उनको बताया गया की इसमे शिक्षा विभाग कुछ नहीं कर सकता हैं आप विद्यालय से ही कुछ जुगाड़ बनाये।

तेज नारायण साह ने प्रखंड़ शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, और जिलाधिकारी कार्यालय के साल भर में   सैकड़ों बार चक्कर लगा दिये उनका चप्‍पल घीस गया लेकिन  अधिकार नहीं मिल सका। थक हारकर साह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और सीवान प्राधिकार कोर्ट में अपनी शिकायत की! केश चलने लगा दलिले दी गई, सुनवाई चली, तारीखे मिली और पाॅच साल बीत गए…..! अब आया “फैसला”।  फैसला आया की प्रखंड शिक्षा विभाग तेज नारायण साह को अबिलम्ब् कन्या मध्य विद्यालय मे योगदान कराना सुनिश्चित करे और अदालत को योगदान करा कर सूचित करे । फिर साह पहुँचे प्रखंड शिक्षा कार्यालय रघुनाथपुर तो अब साह से घुस के रूप में एक लाख रुपये मांगे गए.जिसे सुन साह धड़ाम से वही गिर गए।डिमांड सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो गये।

आठ सालों से लगातार गरीबी , पारिवारिक, सामाजिक और अदालत की लडाई लड़ रहा तेजनारायन अब थक गया था और उसमे और लड़ने की हिम्मत नहीं बची थी । फिर भी वह लगातार लड़ता रहा, वह रोज अपनी नौकरी के कागजात जनप्रतिनिधियों, प्रखंड़ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिखता और प्रखंड़ कार्यालय के चक्कर लगता। प्रखंड़ विकास पदाधिकारी एवं प्रखंड़ शिक्षा पदाधिकारी की दर्जनों चिठिया निकलती गयी और सोलह साल बीत गए।जो एक शिक्षक देश का भविष्य निर्माण कर सकता था वह सब्जी बेचते हुए आख़िरकार इस दुनिया से चला गया। साह की मृत्यु 2021 के पहली तिमाही मे पैसे और इलाज के आभाव मे बीमारी से हो गई। तो क्या हम ये कहे की जिस देश की कल्पना हमारे बलिदानियों ने की थी वह अधूरा रह गया या फिर ये की “मेरा भारत महान”।

गरीबी और ऊपरी पहुंच नहीं होना आज के इस भ्रष्टाचारी युग में एक कलंक है जो कि कितने ही तेज नारायण इस भ्रष्टाचार के गाल में समा चुके होंगे और आने वाले समय में समाते चले जाएंगे। इस भ्रष्टाचारी युग में जिसके माथे पर यह कलंक लग गया तेज नारायण जैसा ही हाल होना है। इस मामले के सारे सबूत और सारे कागजात मरने से कुछ दिन पहले तेज नारायण साह ने कुशल समाजसेवी दीपक पांडेय

 

को उपलब्ध कराया था और दीपक पांडेय ने इस मामले को उच्च न्यायालय मे ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी । श्रीनारद मीडिया को यह जनकारी देते वक्त दीपक पांडेय ने बड़े भावुक होकर कहा की शायद होनी को यह मंजूर न था शायद हमारे संबिधान को कलंकित होना था और शायद हमारे कार्यपालकों के पापो का घडा़ भरा नहीं था। आपको बताते चले कि जीते जी तेजनारायण योगदान के लिए इस भ्रष्‍ट तंत्र के अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों से लड़ते लड़ते तेज नारायण मर गया । आज भी उसके  मरने के बाद उसकी  आत्‍मा  भटक ही रही होगी

इस खबर के  माध्यम से तेजनारायण साह को श्रद्धांजलि।

 

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