अंतर्राष्ट्रीय पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा की कला भारत और उज्बेकिस्तान की चित्रकला विधा को देगी मजबूती

अंतर्राष्ट्रीय पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा की कला भारत और उज्बेकिस्तान की चित्रकला विधा को देगी मजबूती

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भारत में ‘न्यू उज्बेकिस्तान के रंग’ नामक प्रदर्शनी लगाएंगी

श्रीनारद मीडिया, वैध पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

पिहोवा, प्रिंस अत्री 19 फरवरी : दुनिया में चित्र कला एक सुंदर एवं प्रभावी कला है, कलाकार की निपुणता अर्थ के साथ उसकी प्रसिद्धि गांव, शहर और देश को पार कर अंतर्राष्ट्रीय नामचीन व्यक्तित्व बना देती है, आदि मानव भी रंगों के प्रति आकर्षित हुआ होगा तभी उसने पहाड़ों और कंदराओं में पहले काले कोयलों और धीरे धीरे रंगों से अपने भाव भित्तिचित्रों के माध्यम से चित्रित किये होंगे । बिना रंगों के सुन्दर पूरी कायनात कितनी फीकी और बेजान दिखेगी।

इस बार कुरुक्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में उज़्बेकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा अपने देश में ख्याति प्राप्त कर अब दुनिया में अपनी कला का जादू बिखेरने भारत आई थी,जिसकी कला के रंगों का जादू हर भारतीय के सिर चढ़ कर बोला, दुनिया के कई देशों में नीलोफर अपनी अद्भुत चित्रकला से विदेशों में भी जानी जाती हैं। फ्रांस, यूएई, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान,तुर्की, ईरान,रूस,भारत जैसे देशों में प्रदर्शनियां आयोजित कर चुकी हैं । वो कहती हैं कि चित्रकला हर देश की भाषा बोलती है उसका आकर्षण बिना रंग भेद के सब को सम्मोहित करता है, रंगों का मनोविज्ञान और मानव व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है. रंगों की गहराई , परफेक्ट मिश्रण किसी भी चित्र को आकर्षित एवं खूबसूरत बनाता है।

अपनी दादी अबोद से कपड़ों पर रंगीन धागों से कशीदाकारी रंगों का कौशल प्रयोग,धागों का लयबद्ध मिश्रण का प्रशिक्षण बचपन से खेल खेल में साधना का रूप लेता गया। उनके पिता करीम भी एक उच्च शिक्षित मूर्तिकार थे। मूर्तिकार के रूप में चेहरे के भावों की गहराई से बारीकियों का प्रशिक्षण खानदानी परंपरानुसार नीलोफर को शिक्षित करते रहे। नीलोफर की पेंटिंग कला के लगाव को देखते हुए परिजनों ने कमोलिद्दीन बेहज़ोद नेशनल स्कूल ऑफ़ पेंटिंग एंड आर्ट,ज़ैन इंस्टीट्यूट के कला विभाग से स्नातक की डिग्री करवाई।

कैनवस पर प्रकृति के रंग पर्वतों, नदियों, बादल, हिम शिखाओं, फूल पत्तों के चित्रों को रंगते हुए हिन्दू देवी देवताओं विशेषत राधा कृष्ण के मनमोहक चित्रों को उकेरते हुए तो उन्हें अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है। मानव पोर्ट्रेट हो या प्रकृति के विभिन्न मौसम नीलोफर साधारण कैनवस पृष्ठ भूमि को रंगों और ब्रश के सफर को एक महान अद्भुत रचना से प्रत्येक सपाट कैनवस को चित्र की मंजिल पर पहुंचा कर बहुमूल्य बना देती है। बचपन की पहली पेंटिंग एक डॉलर में और उसके बाद देश विदेश में कला प्रशंसकों ने 10000 डॉलर तक की कीमत में खरीदी ।

उनकी सबसे छोटी कला पेंटिंग 5 सेमी. की और सबसे बड़ी 10 मीटर बड़ी मनमोहक पेंटिंग है , उनका मानना है कि मैं लोगों को खुश करने के लिए अपनी आंतरिक भावनाओं को अपनी तस्वीरों के माध्यम से दिखाने की कोशिश करती हूं। वो कहती हैं अपने देश की खूबसुरती पूरी दुनिया को दिखाना चाहती हूँ।

गीता महोत्सव में राधा कृष्ण के चित्रों को जीवंत रंगों से उकेर कर नीलोफर यार्माटोवा ने हर भारतीय से सम्मान और प्यार हासिल किया। वो केवल कैनवस पर ही नहीं कपड़े, सेरेमिक प्लेटों और नारियल पर अपने विलक्षण पेंटिंग हुनर से अपनी ओर आकर्षित करती हैं। अपने देश की संस्कृति और पेंटिंग कला के माध्यम से दूसरे देशों के पर्यटकों और कला प्रशंसकों के सरहाना से निलुफर यार्माटोवा कला और पर्यटन के क्षेत्र में और सामंजस्य बनाना चाहती हैं। वह अपने अनूठे कार्यों से विदेशी पर्यटकों को अपने देश की प्रकृति सुंदरता दिखाने के लिए नई परियोजनाओं पर काम कर रहीं हैं।अपने देश उज़्बेकिस्तान में नीलोफर यार्माटोवा एक सम्मानीय पहचान और देश की अहम् धरोहर हैं जिन्हे कईं राष्ट्रीय सम्मानों से नवाज़ा गया है।

वो कहती हैं मुझे भारत की पुरातन,लोक संस्कृति,पारंपरिक पोशाक, क्लासिक नृत्य और खूबसूरत रंगों से सरोबार उत्सव अपनी ओर सम्मोहित करते हैं। मुझे भारत मेरी आत्मा को आनंदित और सुकून प्रदान करता है। या यूँ कहे मैं भारत और भारतीयों की दीवानी हूँ । भारत के भी कला को सीखने वाले कला प्रेमियों को भी अपना मार्गदर्शन देने की इच्छुक हैं। मैं जल्द ही भारत में ‘न्यू उज्बेकिस्तान के रंग ‘नामक प्रदर्शनी लगाउंगी। मुझे भारत में बहुत ही प्यार और मेरे कला को प्रोत्साहित करने वाले भावनात्मक प्रशंसक मिले हैं।

मेरा उद्देश्य भारत और उज्बेकिस्तान की पेंटिंग विधा को जोड़ने वाली दोस्ती को मज़बूत करना है। मैं लगभग 20 वर्षों से दृश्य और अनुप्रयुक्त कला के क्षेत्र में नित नई सृजन कर रही हूँ । मुझे अपने देश की सुंदरता और संस्कृति दिखाने में आनंद मिलता है। मुझे उज़्बेकिस्तान की पेंटिंग कला को पूरी दुनिया को दिखाने में अपनी भूमिका निभाने पर गर्व है। भारत में मैंने वहां राम कृष्ण के चित्र मनोयोग से चित्रित किये जिनकी कल्पना अलौकिक शक्ति से ही संभव है।

मैं चाहती हूँ दुनिया शांतिपूर्ण हो जो सुन्दर रंगों से भरी हो। यदि लोग मौजुदा सुंदरता का आनंद लेते हुए जीते हैं तो जिंदगी का स्वर्ग यहीं है। मैंने भारतीयों लोगों में सच्ची मुस्कान देखी है,हमारे चारों ओर प्रकृति ने हमें रंगों की सुंदरता से सराबोर कर रखा है उसका आनंद लो। मैं रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती। इसलिए अपने प्रशंसकों और बहुमूल्य कीमत देने वालों के लिए निरंतर कैनवस पर रंगों से नित नई नई रचनाएँ सृजन करती रहूंगी अपने आनंद के लिए भी और अपने देश की पहचान के लिए भी।

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