महेंद्र मिसिर को याद करने का सर्वश्रेष्ठ अवसर है उपन्यास- हरिनारायण चारी मिश्र.

महेंद्र मिसिर को याद करने का सर्वश्रेष्ठ अवसर है उपन्यास- हरिनारायण चारी मिश्र.

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यह उपन्यास राष्ट्रीय गौरव का विषय- उपाध्याय.

भोजपुरी उपन्यास महेंद्र मिसिर का हुआ विमोचन.

भोजपुरी हिंदी नागपुरी मालवीय भाषा के लोग मातृभाषा दिवस की पूर्व संध्या पर एकत्र हुए.

श्रीनारद मीडिया सेन्ट्रल डेस्क

सारण छपरा के रहने वाले श्री महेंद्र मिसिर एक ऐसे क्रांतिकारी रहे, जिनके बारे में बहुत कम लिखा गया, किन्तु उनके काम उस समय आज़ादी आन्दोलन के लिए आहुति रहे। रामनाथ पाण्डेय जी के लिखे उपन्यास के माध्यम से क्रांतिकारी मिसिर को याद करने का शुभ अवसर भी यह बना।
उक्त बात इन्दौर पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने अपने उद्बोधन में कही।

मातृभाषा दिवस की पूर्व संध्या पर इन्दौर प्रेस क्लब, मातृभाषा उन्नयन संस्थान व सारण भोजपुरिया समाज द्वारा रविवार को भोजपुरी उपन्यास महेंद्र मिसिर का विमोचन प्रेस क्लब सभागार में सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में मुख्य अतिथि पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी व इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी रहे।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन व सरस्वती पूजन कर आयोजन का आरंभ किया गया। तत्पश्चात वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी, इन्दौर प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी, सचिव संजय त्रिपाठी, मातृभाषा उन्नयन संस्थान से विघ्नेश् दवे ने अतिथियों का स्वागत किया।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने अतिथियों का शब्द स्वागत किया तथा पुस्तक के लेखक रामनाथ पाण्डेय के व्यक्तित्व व कृतित्व का परिचय दिया।
विशिष्ट अतिथि अरविन्द तिवारी ने अपने वक्तव्य में महेंद्र मिसिर के किरदार से अवगत करवाते हुए कहा कि ‘इस समय ऐसे किरदारों से पूरे देश का परिचय होना चाहिए।’

आयोजन के विशिष्ट अतिथि हरेराम वाजपेयी ने भोजपुरी भाषा के सौंदर्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘भोजपुरी से जुड़ाव मातृभाषा का कारक है, इस उपन्यास में सरल भोजपुरी में लेखन हुआ है।’

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदाप्रसाद उपाध्याय जी ने भोजपुरी और मालवा के संबंध दर्शाते हुए कहा कि ‘भोजपुर के निर्माण में मालवा के राजा भोज की भूमिका रही है। भोजपुरी समझना और जानना बहुत आसान है और इस उपन्यास को सभी को पढ़ना भी चाहिए ताकि भोजपुरी की सुंदरता से भी परिचय हो सके।’

उपन्यास का लेखन स्व. रामनाथ पाण्डेय द्वारा किया गया था, जो भोजपुरी के पहले उपन्यास बिंदिया के लेखक रहे हैं। इन्दौर प्रेस क्लब, मातृभाषा उन्नयन संस्थान व सारण भोजपुरिया समाज द्वारा अतिथियों को स्मृति चिह्न के रूप में भोजपुरी का पहला उपन्यास ‘बिंदिया’ प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में सुरेन्द्र जोशी, मोहित बिंदल, राहुल वाविकर, प्रदीप नवीन, प्रवीण बरनाले, अभय तिवारी, राजकुमार जैन सहित साहित्य व पत्रकार जगत के कई साथी मौजूद रहे। तत्पश्चात अंत में आभार बिमलेन्दु भूषण पांडेय ने माना व संचालन मुकेश तिवारी ने किया।

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