वाराणसी में निर्लज्जता की सीमा हुई पार, क्या आरोपी बांट रहा मिठाई?
@आखिर बांटे भी क्यो न मिठाई दबंग पार्षद प्रत्याशी के साथ सुपरवाइजर जो ठहरा
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी / जनपद में निर्लज्जता की सारी सीमाएं पार हो चुकी है। अब ऐसे निर्लज्जो को कौन समझाये कि बचवा हमरे सपना में काका और काकी नाही आवत है। ई समाज मे रहे बदे मान और सम्मान की जरूरत पड़त है। मगर ई सब बात तोहे समझावे का कउनो मतलब नाही है। काहे से कि जेका मान सम्मान होत है ओके ई सब बात समझ मे आवत है।
बहरहाल हम बात कर रहे है विगत एक या दो दिन पूर्व लक्सा थाना क्षेत्र के औरंगाबाद पुलिस चौकी इलाके में आने वाले सम्राट होटल वाली गली धोबियाने में निर्माण हो रहे एक मकान का। जहां के सुपर वाइजर और ओमकालेश्वर वार्ड न 56 के पूर्व पार्षद प्रत्याशी मेहताब की जिसे जनता के द्वारा पीठ पूजा करने के बाद पुलिस को इसलिये सौंप दिया गया था कि उक्त आरोपी पर एक महिला के द्वारा स्नान करते समय का वीडियो बनाया गया था। वहीं इस आरोप को पुलिस के समक्ष आरोपी ने स्वीकार भी किया था, जो इसके दबंगई का प्रमाण है। वहीं नेता, पत्रकार व बिल्डरों के द्वारा थाना प्रभारी लक्सा पर डाले जा रहे लाख दबाव को नजरअंदाज करते हुऐ थाना प्रभारी ने पीड़िता को न्याय दिलाने के ओर अपना कदम बढ़ाते हुये इस पर मुअस 64/21 धारा 354सी दर्ज कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया जहां न्यायालय के द्वारा आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया गया। मगर आरोपी व उसके समर्थक व शुभचिंतक ये भूल गए कि न्यायालय ने जमानत दिया है, दोषमुक्त नही किया है।
वहीं सूत्र बताते है कि न्यायालय से जमानत मिलने के बाद इस आरोपी के समर्थकों व शुभचिंतको के द्वारा मिठाई खाने व खिलाने का दौर भी चला। ये मिठाई खाने वाले वो लोग रहे होंगे जिनके लिये एक महिला का सम्मान एक खिलोने की तरह रहा होगा। सबसे मजे की बात तो ये रही कि इन खाने व खिलाने वालो में अपने आप को समाज का सजग प्रहरी बताने वाले कुछ चाटुकार टाइप के पत्रकार लोग भी शामिल रहे। साथ ही उक्त आरोपी के समर्थकों में ऐसी खुशी भी देखने को मिली जैसे आरोपी विधायकी या सांसदी का चुनाव जीत कर आया हो।
इन सब के बीच सूत्रों का कहना है कि घटना वाले दिन इस आरोपी के साथ मौलाना रूपी एक बिल्डर भी शामिल था, जो मौके का लाभ उठाकर अपना पैजामा पकड़ कर भागने में सफल रहा। अब माननीय न्यायालय की कार्यवाही में आरोपी पर दोष सिद्ध हो या दोषमुक्त हो यह न्यायालय की प्रक्रिया है जिस पर कोई टिप्पणी करना उचित नही है।