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बिहार के सीवान में ब्रिटिश जमाने का पुल आज भी बोझ उठा रहा है,कैसे ? - श्रीनारद मीडिया

बिहार के सीवान में ब्रिटिश जमाने का पुल आज भी बोझ उठा रहा है,कैसे ?

बिहार के सीवान में ब्रिटिश जमाने का पुल आज भी बोझ उठा रहा है,कैसे?

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 मासूम से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल कैद, 20 हजार रुपये का जुर्माना

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश दिन-प्रतिदिन नए आयाम छू रहा है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं और युवा पीढ़ी गौरवगाथा लिख रही है, लेकिन सिवान के हसनपुरा प्रखंड मुख्यालय और उसरी बाजार को जोड़ने वाली दाहा नदी पर ब्रिटिश काल के दौर का बनाया गया स्क्रू पाइल पुल आज भी आधुनिक भारत का बोझ उठा रहा है। इसकी गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्षों पुराना होने के बाद भी यह पुल ध्वस्त नहीं हुआ। हां, यह बात और है कि समय के साथ इसकी जड़ें कमजोर हुईं और अब इस पुल से वाहनों के गुजरने पर यह अपनी कमजोरी का एहसास जरूर कराने लगा है और कांपने लगा है।

अंग्रेजों ने स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया था निर्माण

यह पुल जिला मुख्यालय को हसनुपरा प्रखंड और मुख्य बाजार को जोड़ने का काम करता है। बताया जाता है कि यह पुल अंग्रेजी शासनकाल में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बनाया गया था। इसके लोहे के खंभे पर मेड इन इंग्लैंड अंकित है। रघुनाथपुर के पूर्व विधायक विक्रम कुंवर द्वारा इसकी मरम्मत पुल निर्माण निगम द्वारा वर्ष 2012-13 में कराई गई थी। उसकी प्राक्कलित राशि एक करोड़ से अधिक थी।

साइकिल और बाइक के गुजरने से भी होता है कंपन

यह पुल आने-जाने वाले वाहनों यहां तक कि साइकिल और बाइक के गुजरने पर भी कंपन करता है। इस पुल पर आज भी ट्रैक्टर, बोलेरो, पिकअप सहित अन्य सवारी गाड़ियां रोजाना गुजरती हैं। पुल से ट्रक-बस नहीं गुजरने का कारण तंग और सकरा होना है। वहीं 407 गाड़ियां व स्कूली बस भी प्रतिदिन इससे गुजरती हैं।

इस पुल के समानांतर अन्य पुल नहीं बनने से पुल से गुजरना अन्य वाहनों की मजबूरी है। वहीं इस पुल से महज आधा किलोमीटर दाएं सरैया गांव में पुल निर्मित है, लेकिन इसका अप्रोच सड़क निर्मित नहीं होने से लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। वहीं बाएं तरफ बनी पुल अभी तक उसरी से नहीं जुड़ पाई है।

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इस संबंध में ग्रामीण कार्य विभाग का कहना है कि यह पुल मेरे विभाग का नहीं है। यह अंग्रेजों के जमाने का पुल है। उस जगह को हमलोग देख रहे हैं। वहां नया पुल बनाने के लिए जगह की कमी है। हालांकि उसके समानांतर कुछ दूरी पर एक पुल बना है।

पुल ध्वस्त हुआ तो लोगों को होगी परेशानी

अंग्रेजों के जमाने का बना स्क्रू पुल अपने भार वाहन क्षमता से अधिक सह रहा है। अगर यह पुल ध्वस्त हो जाएगा तो सदियों पुरानी उसरी और हसनपुरा बाजार के बीच आवागमन पूर्णतः बाधित हो जाएगा्। लोगों को पूरब और पश्चिम दिशा से दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय कर बैंक बाजार और मुख्य सड़क तक दूरी तय करनी पड़ेगी,

हालांकि, उक्त पुल की क्षमता फिलहाल किसी भी तरह के चार पहिये गाड़ी तक की नहीं है, क्योंकि जब भी ऐसी गाड़ियां पुल से होकर गुजरती हैं तो पुल में कंपन होने लगता है। ज्ञात हो कि यह पुल लहेजी, मंद्रपाली, सहुली, रजनपुरा, तेलकथू, सिसवां कला, मंझरिया बस्ती मंझरिया, शेखपुरा, खाजेपुर, निजामपुर, सरैया, रामपुर, भीखपुर भगवानपुर, कन्हौली धनौती, गायघाट सहित दर्जनों गांव को जोड़ता है।

पांच साल की मासूम से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल कैद, 20 हजार रुपये का जुर्माना

अपर जिला न्यायाधीश षष्ठम सह विशेष न्यायाधीश पोक्सो प्रवीण कुमार सिंह निकेत की अदालत ने पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए आरोपी अमेरिका महतो को 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने अभियुक्त को दोषी पाते हुए यह सजा दी है।

बुधवार को अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की उपस्थिति में अभियुक्त अमेरिका महतो को भादवि की धारा 376 के साथ पोक्सो अधिनियम के तहत 20 वर्ष कारावास और 20 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करने पर अभियुक्त को एक वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।

जानकारी के मुताबिक, एमएच नगर थाना अंतर्गत के एक गांव में 23 अप्रैल 2019 को बगीचे के पास बच्ची खेल रही थी। तभी अपने ससुराल आए एकमा थाना के परसा निवासी आरोपी अमेरिका महतो बच्ची को बहला-फुसलाकर सुनसान जगह ले गया और दुष्कर्म का प्रयास करने लगा। बच्ची के शोर करने पर वह भाग गया।

बच्ची ने घर आकर आपबीती बताई तो मां ने महिला थाने में 24 अप्रैल 2019 को अमेरिका महतो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। इसी मामले में आरोपी को दोषी पाते हुए कोर्ट ने यह सजा सुनाई है।

अदालत ने विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से बिहार पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत बच्ची को हुए मानसिक और शारीरिक क्षति को लेकर पांच लाख बैंक में फिक्स डिपाजिट के रूप में जमा कराए जाने का भी निर्देश पारित किया है। जब बच्ची परिपक्व हो जाएगी तो वह स्वयं राशि निकाल सकेगी। मामले में अभियोजन की ओर से विशेष अभियोजक नरेश कुमार सिंह तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता परशुराम सिंह ने बहस की।

 

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