भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति का अपमान किया है-उदय निधि स्टालिन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सनातन धर्म पर बयान देकर घिरे डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वह विधवा और आदिवासी हैं। उदयनिधि स्टालिन ने मदुरै में एक कार्यक्रम के दौरान सनातन के सिद्धांतों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इसके खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे।
मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया। बीजेपी उद्घाटन के लिए तमिलनाडु से अधिनमों को बुलाया, लेकिन भारत के राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वह एक विधवा हैं और एक आदिवासी समुदाय से आती हैं। क्या यही सनातन धर्म है? हम इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।”
दरअसल, इस साल मई में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए चेन्नई से 21 अदीनमों को आमंत्रित किया गया था। अधीनम तमिलनाडु में गैर-ब्राह्मण शैव मठवासी मठ हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के बहिष्कार के बीच नई संसद का उद्घाटन किया क्योंकि विपक्ष मांग कर रहा था कि नई संसद का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति करें।
सनातन धर्म के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों में आए तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बहाने एक बार फिर सनातन पर हमला बोला है. अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में संबोधन करते हुए कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति मुर्मू को इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से हैं और विधवा हैं. क्या यही सनातन है?
इससे पहले तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से की थी, जिसके बाद देशभर में तीखी बहस छिड़ गई थी. खासकर बीजेपी ने इस मुद्दे पर स्टालिन के बहाने इंडिया गठबंधन को भी घेरा था.
अब एक बार फिर बुधवार को मदुरै में पार्टी के एक कार्यक्रम में संबोधन करते हुए कहा, “हमारे देश का पहला नागरिक कौन है? राष्ट्रपति. उनका नाम क्या है? द्रौपदी मुर्मु. उन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. क्योंकि वह आदिवासी समुदाय की हैं और विधवा हैं. इसे ही हम सनातन कहते हैं? हम सनातन के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखेंगे.”
दयनिधि ने कहा, “नई संसद का निर्माण मॉन्यूमेंट प्रोजेक्ट के तहत 800 करोड़ रुपये खर्च करके किया गया. उन्होंने (भाजपा) तमिलनाडु से अधीनम (संतो) को बुलाया. लेकिन इसके उद्घाटन पर राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया.”
स्टालिन ने महिला आरक्षण बिल की पेशी के दौरान कुछ हिंदी अभिनेत्रियों को इनवाइट किए जाने का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण बिल की पेशी के समय भी राष्ट्रपति को नहीं पूछा गया है.
स्टालिन में दावा किया कि ये तमाम चीजें सनातन धर्म के प्रभाव की वजह से हैं.
‘सनातन के ख़ात्मे के लिए डीएमके की स्थापना’
सनातन को लेकर की गई अपनी पूर्व टिप्पणी पर कायम रहते हुए उदयनिधि ने कहा, “लोगों ने मेरे सिर पर इनाम रख दिया, लेकिन मैं इन सब चीजों से डरने वाला नहीं हूं. डीएमके की स्थापना ही सनातन के खात्मे के लिए हुई थी और हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक अपने लक्ष्य को नहीं हासिल कर लेते हैं.”
PM ने किया था नए संसद भवन का उद्घाटन
इसी साल 28 मई को पीएम मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था, लेकिन उसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया था. इसे लेकर विपक्ष के 21 दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया था. उनकी दलील थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों करवाया जाना चाहिए था न कि प्रधानमंत्री मोदी के हाथो.
इससे पहले एमके स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस से की थी. उन्होंने कहा था कि जैसे कोरोना, मलेरिया, डेंगू का विरोध नहीं किया जा सकता उसी तरह सनातन का विरोध नहीं करना है, बल्कि इसे जड़ से खत्म करना होगा.
उदयनिधि ने 10 सितंबर को BJP की तुलना जहरीले सांप से की थी। साथ ही उनके सहयोगी दल AIADMK को कूड़े का ढेर कहा था। उन्होंने कहा था- कचरे में से सांप हमारे घर में घुस जाता है। अगर हमें सांप को खत्म करना है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई कचरा न हो। 2024 चुनाव में तमिलनाडु से भाजपा और AIADMK को बाहर कर देना चाहिए।
सनातन धर्म के विरोध के चलते महिलाएं घर से निकल पाईं
उदयनिधि ने आगे कहा, सनातन धर्म के कड़े विरोध के कारण ही महिलाएँ घर से बाहर निकल सकीं और सती जैसी सामाजिक कुरीतियाँ समाप्त हुईं। उन्होंने कहा, वास्तव में, द्रमुक की स्थापना ही उन सिद्धांतों पर हुई थी जो ऐसी सामाजिक बुराइयों का विरोध करते हैं।
नरसंहार वाले आरोप का जवाब देते हुए उदयनिधि ने कहा, भाजपा ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया और कुछ ऐसा फैलाया जो मैंने कभी नहीं कहा था।
उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ 262 शख्सियतों ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी है। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से खुद दखल देने की मांग की है। इनमें 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और सेना के 118 रिटायर्ड अफसर शामिल हैं। इन्होंने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ स्टालिन पर कोई एक्शन ना लेने के लिए कार्रवाई करने की मांग की।
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