हेडमास्टर की तरह डांटते हैं सभापति- मल्लिकार्जुन खरगे

हेडमास्टर की तरह डांटते हैं सभापति- मल्लिकार्जुन खरगे

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

राज्यसभा में क्या है संख्या का गणित

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि विपक्ष को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उनके आचरण ने राष्ट्र के गौरव को नुकसान पहुंचाया है।कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष की आवज को दबाया जाता है। सभापति राजनीति से परे होते हैं, लेकिन वह आरएसएस की तारीफ करते हैं।
सभापति को निष्पक्ष होना चाहिए। राज्यसभा के सभापति को हटाने का नोटिस व्यक्तिगत शिकायतों या राजनीतिक लड़ाई से जुड़ा नहीं है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष स्कूल के प्रधानाध्यापक की तरह काम करते हैं, अनुभवी विपक्षी नेताओं को उपदेश देते हैं, उन्हें बोलने से रोकते हैं। राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद अध्यक्ष हैं। वे सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में राज्यसभा अध्यक्ष के आचरण ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। हम राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्होंने हमें उन्हें हटाने के लिए नोटिस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। हम राज्यसभा के सभापति के व्यवहार और पक्षपात से तंग आ चुके हैं। इसीलिए हमने उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया है।

विपक्ष का संसद में हंगामा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नोटिस को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों में बुधवार को तकरार हुई। एनडीए नेताओं ने इस कवायद को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि इंडी गठबंधन के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि इस नोटिस का उद्देश्य कांग्रेस नेतृत्व और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाना है।

उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सरकार ने बेहद अफसोसजनक करार दिया है। संसदीय कार्यमंत्री किरन रिजिजू ने उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि सरकार को उनपर गर्व है।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नदीमुल हक ने कहा कि विपक्ष के नेता से सहमत हूं, हमें राज्यसभा में अपनी बात कहने की अनुमति नहीं है। वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा संसद में देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है।

राज्यसभा में क्या है संख्या का गणित

 आइएनडीआइए गठबंधन के राज्यसभा के करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर युक्त अविश्वास प्रस्ताव मंगलवार को राज्यसभा महासचिव को सौंपा गया। उच्च सदन राज्यसभा के 72 साल के संसदीय इतिहास में किसी सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की यह पहली घटना है। सदन के संचालन में धनखड़ के कथित पक्षपाती व्यवहार से क्षुब्ध एकजुट विपक्ष ने इस प्रस्ताव के जरिए उन्हें हटाए जाने की मांग की है। सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विपक्षी दलों के कदम के बाद शीत सत्र में सरकार और विपक्ष में चल रही तकरार अब तल्ख सियासी दौर में पहुंच गई है।

विपक्षी दलों के सांसदों ने किए हस्ताक्षर

सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के इस नोटिस पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस, सपा, वामदल, द्रमुक, राजद समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश और पार्टी सांसद नसीर हुसैन ने अविश्वास प्रस्ताव का यह नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पदेन राज्यसभा के सभापति हैं। ऐसे में उन्हें हटाने के लिए विपक्ष दलों ने संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत नोटिस दिया है।

धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव

प्रस्ताव पर 50 सांसदों के हस्ताक्षर की अनिवार्यता की पहली शर्त के अनुरूप विपक्ष ने यह नोटिस दिया है। इसमें प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में बहुमत से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पारित किया जा सकता है मगर इसके बाद लोकसभा से भी प्रस्ताव का पारित होना अनिवार्य है। वैसे आंकड़ों के गणित में विपक्ष के पास राज्यसभा में करीब 103 सदस्य हैं जबकि एनडीए के पास 126 सांसद हैं और ऐसे में धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव पारित होने की कोई गुंजाइश नहीं है।

सत्र में केवल नौ दिन रह गए

प्रस्ताव के वर्तमान सत्र में सदन में आने की भी संभावना नहीं है क्योंकि कम से कम चौदह दिन पहले नोटिस दिया जाना जरूरी है, जबकि 20 दिसंबर को समाप्त हो रहे सत्र में केवल नौ दिन रह गए हैं। धनखड़ के खिलाफ अविश्वास नोटिस का कदम उठाए जाने के बाद भी संवैधानिक पद पर आसीन राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा सोनिया गांधी समेत सदन में अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने नोटिस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

जयराम ने कहा कि यह दुखदायी निर्णय है मगर संसदीय लोकतंत्र के हित में विपक्ष को यह कदम उठाना पड़ा है। आम आदमी पार्टी के संजय ¨सह ने भी विपक्षी सांसदों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिए जाने की पुष्टि की। वहीं राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की उपनेता सागरिका घोष ने कहा कि प्रस्ताव पारित कराने के लिए हमारे पास संख्या नहीं है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ने का यह एक मजबूत संदेश है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!