हेडमास्टर की तरह डांटते हैं सभापति- मल्लिकार्जुन खरगे
राज्यसभा में क्या है संख्या का गणित
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विपक्ष का संसद में हंगामा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नोटिस को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों में बुधवार को तकरार हुई। एनडीए नेताओं ने इस कवायद को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि इंडी गठबंधन के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि इस नोटिस का उद्देश्य कांग्रेस नेतृत्व और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाना है।
उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सरकार ने बेहद अफसोसजनक करार दिया है। संसदीय कार्यमंत्री किरन रिजिजू ने उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि सरकार को उनपर गर्व है।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नदीमुल हक ने कहा कि विपक्ष के नेता से सहमत हूं, हमें राज्यसभा में अपनी बात कहने की अनुमति नहीं है। वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा संसद में देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है।
राज्यसभा में क्या है संख्या का गणित
विपक्षी दलों के सांसदों ने किए हस्ताक्षर
सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के इस नोटिस पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस, सपा, वामदल, द्रमुक, राजद समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश और पार्टी सांसद नसीर हुसैन ने अविश्वास प्रस्ताव का यह नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पदेन राज्यसभा के सभापति हैं। ऐसे में उन्हें हटाने के लिए विपक्ष दलों ने संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत नोटिस दिया है।
धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव
प्रस्ताव पर 50 सांसदों के हस्ताक्षर की अनिवार्यता की पहली शर्त के अनुरूप विपक्ष ने यह नोटिस दिया है। इसमें प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में बहुमत से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पारित किया जा सकता है मगर इसके बाद लोकसभा से भी प्रस्ताव का पारित होना अनिवार्य है। वैसे आंकड़ों के गणित में विपक्ष के पास राज्यसभा में करीब 103 सदस्य हैं जबकि एनडीए के पास 126 सांसद हैं और ऐसे में धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव पारित होने की कोई गुंजाइश नहीं है।
सत्र में केवल नौ दिन रह गए
प्रस्ताव के वर्तमान सत्र में सदन में आने की भी संभावना नहीं है क्योंकि कम से कम चौदह दिन पहले नोटिस दिया जाना जरूरी है, जबकि 20 दिसंबर को समाप्त हो रहे सत्र में केवल नौ दिन रह गए हैं। धनखड़ के खिलाफ अविश्वास नोटिस का कदम उठाए जाने के बाद भी संवैधानिक पद पर आसीन राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा सोनिया गांधी समेत सदन में अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने नोटिस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
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