वन नेशन-वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म की अवधारणा को स्थापित किया जाएगा-ओम बिरला

वन नेशन-वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म की अवधारणा को स्थापित किया जाएगा-ओम बिरला
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने “वन नेशन-वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म” की अवधारणा देते हुए 2025 तक सभी राज्यों के सदनों को एक व्यवस्था में लाने की बात कही।पटना में पीठासीन पदधिकारियों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए बिरला ने विश्वास जताया कि 2025 में देश के नागरिकों को ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध होगा, जहां वे की-वर्ड, मेटा डाटा और एआई इम्प्रूवमेंट सर्च के जरिए किसी विषय पर न सिर्फ संसद का विमर्श, बल्कि विधानमंडलों की बहसों को भी प्राप्त कर पाएंगे।
ओम बिरला ने बताया कि संसद द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में 1947 से लेकर आज तक की संसदीय बहसों को उपलब्ध कराया जाएगा। अभी एआई की मदद से संसद में दस भाषाओं में एक साथ अनुवाद किया जा रहा है।

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संविधान की 75वीं वर्षगांठ को उत्सव की तरह मनाने का संकल्प

स्पीकर बिरला ने विधानसभाओं से भी आग्रह किया कि वर्ष 1947 से अब तक की बहसों को हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने संसदीय सचिवालय से तकनीकी सहायता की भी पेशकश की। दो दिनों तक चले सम्मेलन के अंतिम दिन सत्र में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह समेत कई लोगों ने शिरकत की।
सम्मेलन के बाद मीडिया से बात करते हुए स्पीकर ने पीठासीन पदाधिकारियों द्वारा लिए गए पांच संकल्पों का विस्तृत ब्योरा दिया, जिनमें संविधान की 75वीं वर्षगांठ को उत्सव की तरह मनाने का संकल्प प्रमुख है।

आम लोगों को संविधान के प्रति जागरूक किया जाएगा- बिरला

बिरला ने बताया कि भारत की संसद, विधानमंडल एवं अन्य सभी सहभागी जैसे पंचायतों, शहरी निकायों, एनजीओ, युवा, महिला, छात्र, प्रोफेशनल एवं मीडिया के माध्यम से अभियान चलाकर आम लोगों को संविधान के प्रति जागरूक किया जाएगा।
संसद द्वारा पहले से ही लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बिरला ने संसदीय समितियों को भी अत्यधिक जिम्मेवार बनने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प यह भी है कि विधायी संस्थाएं देश में चर्चा-संवाद-सहमति के साथ आगे बढ़ते हुए 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा करें।

जनप्रतिनिधियों को लेकर कही ये बात

जनप्रतिनिधियों से सदन में आदर्श आचरण की अपेक्षा करते हुए स्पीकर ने कहा कि सहमति-असहमति के बावजूद कार्यवाहियों में व्यवधान नहीं होना चाहिए, ताकि हम संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन कर जनसेवा एवं सुशासन में योगदान दे सकें।
विधि निर्माताओं के लिए उत्कृष्ट रिसर्च सपोर्ट पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि सदस्यों के क्षमता निर्माण और सहायता के लिए विधायी संस्थाओं में उत्कृष्ट रिसर्च और संदर्भ शाखा होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारी योजना है कि राज्यों की विधान मंडलों के लिए लोकसभा में एक रिसर्च पूल स्थापित करें जिससे विधायिकाओं को संसद द्वारा शोध की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा सके।

पीठासीन पदाधिकारियों के पांच संकल्प

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