Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
एक तैरते हुए गांव की तरह है देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’ - श्रीनारद मीडिया

एक तैरते हुए गांव की तरह है देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’

एक तैरते हुए गांव की तरह है देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’ का समुद्री ट्रायल 4 अगस्त से शुरू हो गया है। यह देश में बना सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है। इंडियन नेवी ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि भारत के लिए ये ‘गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक दिन’ है।

ये आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत बना देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण कर रहे हैं। उम्मीद है कि अगले साल तक इस स्वदेशी कैरियर को इंडियन नेवी में कमीशन कर दिया जाएगा।

सबसे पहले समझिए युद्धपोत या वॉरशिप क्या होते हैं?
आसान भाषा में समझें तो वॉरशिप का मतलब ऐसी शिप जिसका इस्तेमाल युद्ध से जुड़े कामों में किया जाता है। सामान्यत: ऐसी शिप्स का इस्तेमाल किसी देश की नौसेना करती है। एयरक्राफ्ट कैरियर भी वॉरशिप का ही एक टाइप होता है। आप एयरक्राफ्ट कैरियर को समुद्र में तैरता हुआ एक एयरपोर्ट समझिए। यानी एयरक्राफ्ट कैरियर पर विमानों की उड़ान से लेकर लैंडिंग तक की सारी सुविधा होती है।

इनका काम दुश्मन देशों की नौसेना से निपटने से लेकर वायुसेना को सपोर्ट देना होता है। समुद्री सुरक्षा के लिहाज से वॉरशिप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

अब विक्रांत के बारे में जान लीजिए
विक्रांत को 23 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है। इसकी टॉप स्पीड 52 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है। 14 फ्लोर के इस कैरियर में 2300 कंपार्टमेंट हैं। जहाज पर एक साथ 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं। इस जहाज पर मिग 29K, कामोव- 31 हेलिकॉप्टर समेत एक साथ 30 लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया जा सकता है।

विक्रांत इतना खास क्यों हैं?
दरअसल विक्रांत की सबसे बड़ी खासियत इसका स्वदेशी होना है। विक्रांत के 70% से भी ज्यादा मटेरियल और इक्विपमेंट भारत में ही बनाए गए हैं। इसी के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है।

कैरियर की डिजाइनिंग से लेकर असेंबलिंग तक का सारा काम कोच्चि के शिपयार्ड में किया गया है। इसका पूरा जिम्मा डायरेक्ट्रेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) के पास है। साथ ही कैरियर का निर्माण आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत हुआ है। इस वजह से इसकी कुल लागत (23 हजार करोड़) का 80-85% हिस्सा भारतीय मार्केट में ही खर्च हुआ है। निर्माण के दौरान प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 40 हजार लोगों को रोजगार भी मिला है।

विक्रांत की ताकत
विक्रांत के बारे में नेवी ने कहा है कि कमीशनिंग के बाद ये समुद्र में भारत की सबसे बड़ी ताकत होगा। 44 हजार 500 टन वजनी इस जहाज में ट्विन प्रॉपेलर लगे हैं, जो इस भारी भरकम जहाज को 52 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से समुद्र में तैरा सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में ये कैरियर 33 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से लगातार 13 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।

साथ ही एक बार में 30 से ज्यादा फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर इस कैरियर से ऑपरेट किए जा सकते हैं। 2 हजार से ज्यादा लोग एक साथ इसमें रह सकते हैं। यानी ये एयरक्राफ्ट कैरियर अपने आप में चलता-फिरता छोटा गांव है। कमीशन होने के बाद ये INS विक्रांत के नाम से जाना जाएगा।

इससे सेना की ताकत में कितना इजाफा होगा?
रिटायर्ड नेवी ऑफिसर और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ उदय भास्कर के मुताबिक, एयरक्राफ्ट कैरियर के पूरी तरह ऑपरेशनल होने के बाद हिंद महासागर में भारत की सीमा पार क्षमता में बढ़ोतरी होगी। चीन वैसे ही हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ा रहा है। एयरक्राफ्ट कैरियर की मदद से भारत चीन और पाकिस्तान दोनों को टक्कर दे सकेगा।

क्या भारतीय सेना में ये पहला एयरक्राफ्ट कैरियर है?
नहीं। भारत के पास फिलहाल INS विक्रमादित्य है, जो नवंबर 2013 में कमीशन किया गया था। इस पर 30 से ज्यादा फाइटर जेट्स खड़े किए जा सकते हैं। इसे रूस से डी-कमीशंड हो चुके एडमिरल गोर्शकोव नाम के कैरियर में मॉडिफिकेशन कर बनाया गया है।

इसके अलावा भारत के पास पहले INS विराट और INS विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर भी थे। फिलहाल दोनों को डी-कमीशन कर दिया गया है। ये दोनों ही एयरक्राफ्ट कैरियर ब्रिटेन ने बनाए थे। ब्रिटिश नेवी से डी-कमीशनिंग के बाद इन्हें भारतीय नेवी में कमीशन किया गया था।

इसका नाम विक्रांत क्यों रखा जा रहा है?
अब आप सोच रहे होंगे कि भारत के पास पहले से ही INS विक्रांत नाम का एक एयरक्राफ्ट कैरियर था तो इस नए कैरियर का नाम विक्रांत क्यों रखा जा रहा है। दरअसल भारत के पास पहले जो INS विक्रांत था, उसने 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई और पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में अपनी जमीन से भी हाथ धोना पड़ा।

1971 के युद्ध में जीत की भारत 50वीं सालगिरह मना रहा है। इसलिए नेवी ने अपने INS विक्रांत की याद में इस नए एयरक्राफ्ट कैरियर को भी विक्रांत ही नाम दिया है। नेवी ने कहा है कि ये INS विक्रांत का पुनर्जन्म है।

क्या भारत किसी दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर पर भी काम कर रहा है?
भारत अपने दूसरे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विशाल पर काम कर रहा है। हालांकि इसके पूरे प्लान को अभी मंजूरी नहीं मिली है और केवल शुरुआती प्लानिंग पर ही काम हो रहा है। नेवी इस कैरियर को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) से लैस करने की योजना पर काम कर रही है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!