सीवान में गंडक नहर का बांध टूटा,चूहों ने कुतरा नहर का किनारा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के सीवान में लकड़ीनबीगंज प्रखण्ड के खवासपुर गांव में गुरुवार की सुबह करीब 5 बजे अचानक गंडक नहर का पानी गांव में प्रवेश करने लगा। कुछ ही समय में पूरा गांव जलमग्न हो गया। करीब 2 दर्जन से अधिक घरों में भी पानी घुस गया। लोग सुरक्षित स्थान की ओर भागने लगे। करीब 800 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है। नहर विभाग की टीम बांध को बांधने में जुटी है। नदी से पानी का बहाव भी रोक दिया गया है। वहीं गंडक नहर विभाग के पदाधिकारी ब्रजेश कुमार बांध टूटने के लिए चूहों को दोषी बता रहे हैं।

उन्होंने कहा कि चूहों ने बांध को जगह-जगह से कुतर दिया। इसकी जांच की जाएगी। अगर किसी असामाजिक तत्वों द्वारा बांध को काटा गया होगा तो उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों के मुताबिक 13 जून को नहर विभाग की तरफ से नहर में पानी छोड़ा गया था। पानी का बहाव तेज था। नहरी विभाग के पदाधिकारी ब्रजेश कुमार नहर के टूटने के लिए चूहों के अलावा साहिल और लोमड़ी को भी जिम्मेदार बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोजन और रहने के लिए ये पशु-पक्षी मिट्टी को खोद देते हैं।

आरोप : नहर विभाग ने बिना निरीक्षण किए पानी छोड़ा

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि नहर विभाग ने नहर का निरीक्षण किए बिना ही नहर में पानी छोड़ दिया। पानी छोड़ने के पहले नहर की मजबूती की जांच नहीं की गई। जांचने-परखने के बाद पानी छोड़ा गया होता तो ऐसी घटना से बचा जा सकता था। जल्द ही बांध की मरम्मत नहीं की गई तो कई गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं।

मिट्टी भराई का हो रहा काम

सीओ अजय कुमार ठाकुर ने कहा कि बीडीओ, गंडक विभाग के अधिकारियों तथा जेई की देखरेख में मिट्टी भराई का काम किया जा रहा है ताकि सड़क पर आवागमन बहाल हो सके।

डरने की जरूरत नहीं

खवासपुर के मुखिया वीरेंद्र ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर वरीय पदाधिकारियों को सूचना दे दी गई है। लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं दें।

सीवान के लकड़ी नबीगंज थाना क्षेत्र में खवासपुर गांव में गंडक नहर का बांध टूट जाने से 800 एकड़ जगह में पानी भर गया था। गांव जलमग्न हो गया था। 13 जून को गंडक विभाग की तरफ से गंडक नहर में पानी छोड़ा गया था। वर्षा नहीं होने के कारण किसान खेतों में धान का बीज नहीं डाल पा रहे थे। किसानों को धान की खेती के लिए नहर में पानी छोड़ा गया था।

पानी का बहाव तेज होने कारण बांध का कटाव 20 फीट तक हो गया और कुछ घंटों में ही पूरा गांव जलमग्न हो गया। पानी घुसने के बाद पूरे गांव में अफरा तफरी का माहौल बन गया। लोग अपने घरों से बाहर निकल ऊंचे स्थानों पर जाने लगे। किसान इस सोच में डूब गए कि समय रहते पानी का निकास नही होता है, तो भारी बारिश के आशंका में पूरा गांव जलमग्न हो जाएगा और खरीफ फसल नहीं हो पाएगी।

गंडक विभाग के अधिकारी ब्रजेश कुमार अपने कर्मियों के साथ पहुंचे और तुरंत नहर का फाटक बंद किया गया। मौके पर पहुंचे लकड़ी नाबीगंज के सीओ अजय कुमार ठाकुर और बीडीओ सुशील कुमार के मौजूदगी में टूटे बांध पर मिट्टी भराई का कार्य शुरू कराया गया। मिट्टी भराई के दौरान पानी का तेज बहाव होने के कारण जेसीबी भी पलट गई। ट्रैक्टर के मदद से मिट्टी लाया गया और टूटे बांध को बांधा गया। मिट्टी भराई का काम गुरुवार की देर रात 11 बजे तक चलता रहा।

शुक्रवार को सुबह से ही गंडक विभाग के अधिकारियों ने पूरी नहर का निरीक्षण कर रहे हैं। नहर पर जहां कमजोर बांध लग रहा है वहां मिट्टी भराई का काम दिन भी जारी है। यह नहर गोपालगंज जिला के गंडक नदी से निकलती है, जो गोपालगंज जिला से होते हुए सीवान के बरहड़िया, लकड़ी नबीगंज, बसंतपुर, भगवानपुर प्रखंड के तरफ से होते हुए पुनः गंडक नदी में जा मिलती है। इस नहर से सैकड़ों गांवों के किसान अपने खेत की सिंचाई करते है।

स्थानीय मुखिया वीरेंद्र साह इस घटना के बाद तुरंत सहायता कार्य में जुट गए। युवकों के साथ मिलकर तुरंत पानी के निकास के लिए रास्ता बनाने में जुट गए। गांव के दक्षिण पूर्व के दिशा में स्थित चंवर के रास्ता को साफ कराया गया और पूरे गांव में लगा पानी शुक्रवार के दिन 12 बजे तक खेतों से खाली हो गया।

किसान और स्थानीय ग्रामीणों ने इसको लेकर गंडक विभाग की लापरवाही बता रहे हैं। विभाग की ओर से बिना नहर के पूर्व निरीक्षण के ही नहर में पानी छोड़ दिया गया था। गंधक विभाग के पदाधिकारी ब्रजेश कुमार का कहना था कि चूहों ने मिट्टी खोद दी थी। जिसके चलते बांध कमजोर हो गया था। विभाग इसकी भी जांच करेगा की क्या किसी असामाजिक तत्व के लोगो ने बांध की कटाई तो नही की थी। यह स्पष्ट नहीं हो सका है की बांध कैसे टूटा है।

 

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