आपातकाल की घोषणा की स्याह रात आज भी पैदा करता है सिहरन
25 जून 1915 के लिए था काला दिन ।
श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट , सीवान (बिहार):
जे पी आंदोलन में काल कोठारी के अंधेरे में कई दिनों तक जीवन गुजारने वाले व अवकाश प्राप्त शिक्षक महमदपुर निवासी रोशन सिंह ने 47 वर्ष पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई आपातकाल को याद कर सिहर जाते है । उन्होंने इमरजेंसी के उन दिनों की यातनाओं को याद करते हुए बताया कि जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। जो भारत में लोकतंत्र के लिए दुःखद और तानाशाही भरा कदम था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की मुखिया इंदिरा गांधी राष्ट्र में तानाशाह बन बैठी थी । बताते है कि 23,जून 1975 को उनकी शादी थी । बरात 25 जून को ही लौटा था ।
उन्होंने बताया कि 25 जून 1975 की रात आपातकाल लगाकर राष्ट्र के चिंतक व विपक्ष के सभी बड़े-बड़े नेताओ को रातों रात गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था । उन्होंने कहा भारत के लिए आपातकाल का अवधि काला दिवस के रूप में था ।लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर दिया गया था ।तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे का तुगलगी फरमान जारी होने लगा। पुलिस को असीमित अधिकार दे निरंकुश बना दिया। आपातकाल लगाने वाली सरकार को हटाने के लिए 1974 में बिहार से शुरू हुआ छात्र आंदोलन गुजरात तक फैल गया था। जो पूरे देश को आंदोलित कर तानाशाह सरकार का चैन छीनने का काम शुरू कर दिया । इस आंदोलन का नेतृत्व खुद जयप्रकाश नारायण कर रहे थे। बिहार में यह आंदोलन सबसे ज्यादा उग्र था। यह छात्र आंदोलन अब जेपी आंदोलन के नाम से मशहूर हो चला था। 1974 के जेपी आंदोलन को याद कर जगत नारायण सिंह , टुनटुन प्रसाद , मिथलेश प्रसाद श्रीवास्तव , बिपिन श्रीवास्तव , विनोद कुमार , द्वारिका उपाध्याय के साथ सरकार के विरुद्ध आंदोलन करने के कारण सिवान पुरानी जेल की काल कोठरी में डाल दिया गया ।
यह भी पढ़े
विधवा बहू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर ससुर को मार डाला.
कथावाचक पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय, भागवत कथा के दौरान समझाते हैं कानून की धाराएं.
विदेशी लड़कियों के नाम पर Facebook ID बनाकर करते थे ठगी.
रेस्तरां में एक व्यक्ति ने 2800 का खाना खाया और वेटर को दी 12 लाख की टिप