भोजपुरी फाउण्डेशन के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर भोजपुरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग किया

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बीपीएससी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भोजपुरी को एक विषय के रुप में शामिल किया जाय : डॉ अजय ओझा

श्रीनारद मीडिया, पटना (बिहार):

भोजपुरी फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉ अजय ओझा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात कर भोजपुरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में शामिल फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डॉ राजा शूलपाणि सिंह ने माननीय राज्यपाल को बताया कि 20 करोड़ लोगों द्वारा बोले जाने वाली भोजपुरी भारत की सबसे बड़ी लोकभाषा है और यह भारत सहित लगभग 16 देशों में बोली और समझी जाती है। बिहार के लगभग 9, उतरप्रदेश के 17 , झारखंड के 2 तथा मध्यप्रदेश के 3 जिलों की यह मातृभाषा है। लेकिन दुर्भाग्यवश विदेशों में मान्यता प्राप्त होने के बावजूद भोजपुरी को भारत में मान्यता प्राप्त नहीं है।

भोजपुरी फाउंडेशन की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीता सिंह ने माननीय राज्यपाल को बताया कि वैदिककालीन भोजपुरी भाषा वर्तमान दौर में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली भाषा है। बावजूद इसके अपने मूल परिवेश में ही सरकारी उपेक्षा की शिकार है। बिहार सरकार द्वारा भोजपुरी को संवैधानिक हक देने के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार द्वारा किसी भी तरह की पहल करने की कोई सूचना नहीं है। फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सुधाकर द्विवेदी ने राज्यपाल महोदय ने बताया कि मॉरीशस सरकार ने वर्ष 2011 में भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दी है और अभी मॉरीशस के सभी २५० सरकारी हाई स्कूलों में भोजपुरी के पठन–पाठन की व्यवस्था है। मॉरीशस सरकार की पहल पर ही भोजपुरी ‘गीत–गवनई’ को विश्व सांस्कृतिक विरासत का दरजा यूनेस्को द्वारा दिया गया है। मॉरीशस सरकार के इस प्रस्ताव को विश्व के तकरीबन १६० देशों ने अनुमोदित किया है। मॉरीशस के अलावा नेपाल में भी भोजपुरी को राजभाषा का दरजा प्राप्त है।
उन्होंने राज्यपाल से कहा कि भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति में बच्चों को पहली कक्षा से लेकर 5वीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान किया है। प्राप्त सूचना के अनुसार संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं एवं अंग्रेजी भाषा में पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। लेकिन भोजपुरी इस सूची में नहीं है।

फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने माननीय राज्यपाल महोदय को एक ज्ञापन सौंपते हुए भोजपुरी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने, बिहार सरकार के भोजपुरी अकादमी में रिक्त पड़े अध्यक्ष पद पर नियुक्ति करने, बीपीएससी तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भोजपुरी को एक विषय के रुप में शामिल करने, बिहार के विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भोजपुरी की पढ़ाई प्रारंभ कर शिक्षकों का पद सृजित करने,
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार मातृभाषा में शिक्षा देने के प्रावधान के तहत भोजपुरी भाषा को भी शामिल और पाठ्यपुस्तकों को प्रकाशित करने तथा भोजपुरी गीतों में व्याप्त अश्लीलता पर रोक लगाने और इसके जिम्मेवार व्यक्तियों/संस्थाओं के खिलाफ दण्डात्मक प्रावधान किये जाने की मांग की।
रीता सिंह ने राज्यपाल महोदय को भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि और कथाकार सत्यनारायण सिंह द्वारा लिखित कहानियों की पुस्तकें भेंट कीं। माननीय राज्यपाल महोदय ने प्रतिनिधिमंडल को भोजपुरी भाषा के विकास संबंधी मांग पर गंभीरतापूर्वक ठोस निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
इस प्रतिनिधिमंडल में फाउंडेशन के महासचिव चैतन्य उपाध्याय तथा कोषाध्यक्ष आर्य अमन ओझा भी शामिल थे।

 

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