डेंगू के बढने से अचानक बढ़ गई बकरी के दूध की मांग,क्यों ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के राजधानी पटना में डेंगू का कहर जारी है. अब तक हजारों लोग इससे पीड़ित हो चुके हैं. शहर के सभी बड़े अस्पताल में प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वहीं, इससे बकरी के दूध की डिमांड काफी बढ़ गई है. इसके अलावा आयुर्वेदिक दुकानों पर पपीते के पत्ते के एक्सट्रैक्ट वाले टेबलेट की भी डिमांड काफी बढ़ गई है.

बकरी का दूध 1200 से 1500 रुपये प्रति लीटर

डेंगू का प्रकोप बढ़ने के साथ ही बकरी के दूध की कीमत तो 1200 से 1500 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी है, जो पहले 400 से 450 रुपये प्रति लीटर था. बेली रोड के रुकनपुरा स्थित बकरी बाजार में काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. सभी लोग यहां बकरी के दूध का डिमांड कर रहे हैं. लेकिन दूध ही कम पड़ जा रही है. बता दें कि बकरी काफी कम दूध देती है, एक बकरी आधा लीटर से डेढ़ लीटर तक ही दूध देती है. ऐसे में दूध की किल्लत हो रही है और लोगों में डिमांड काफी है.

वहीं, फलों की भी मांग काफी बढ़ गयी है, जिनके सेवन से प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ता है. अचानक मांग बढ़ने से फल कारोबारियों ने भी कीवी के दाम बढ़ा दिये हैं. पहले 110 रुपये में तीन पीस कीवी मिल रहा था. लेकिन अब 120 से 130 रुपये प्रति तीन पीस बिक रहा है. यह इराक से मुंबई होते हुए पटना आता है. इसी तरह डाभ 60 से 70 रुपये प्रति पीस मिल रहा है.

 लोग बकरी के दूध के लिए पहुंच रहे हैं

बकरी का दूध सेलेनियम का एक समृद्ध स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम या रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता करता है। अगर आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म सही है तो आप ज्यादा से ज्यादा और सक्रिय रूप से काम कर पाएंगे। बकरी का दूध कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसमें कैल्शियम, विटामिन बी, फास्फोरस और पोटैशियम पाया जाता है।

सबसे अधिक आइजीआइएमएस में 39, एनएमसीएच व पीएमसीएच में 38-38 नये मरीज मिले हैं. 24 घंटे के अंदर 13 मरीज संबंधित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भर्ती किये गये हैं. नये डेंगू मरीजों में 16 बच्चे व 18 किशोर हैं.

डेंगू के बारे में रोचक तथ्य

  • डेंगू मानव संपर्क से नहीं फैलता है, बल्कि वाहक मच्छर, मादा एडीज मच्छर के काटने पर फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटने के लिए जाना जाता है और काटने के लिए इसके पसंदीदा स्थान कोहनी और घुटने के नीचे होते हैं।
  • डेंगू की पहचान अगर जल्दी हो जाए और इसका इलाज अच्छे से किया जाए तो यह जानलेवा नहीं है।
  • डेंगू दुनिया के अधिकांश हिस्सों में पाया जाता है, लेकिन यह आमतौर पर ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल क्षेत्रों में रिपोर्ट किया जाता है। गंभीर डेंगू, एशिया और लैटिन अमेरिका में गंभीर बीमारियों और बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • डेंगू रक्तस्रावी बुखार, डेंगू वायरस के एक निश्चित प्रकार के कारण होता है। यह प्लेटलेट्स की संख्या में भारी गिरावट का कारण बनता है जिसके परिणामस्वरूप गंभीर रक्तस्राव होता है और रक्तचाप में गिरावट आती है। इससे सदमा और मौत भी हो सकती है।
  • जब एक गर्भवती महिला डेंगू बुखार से संक्रमित होती है, तो वह प्रसव के दौरान बच्चे को संक्रमण कर सकती है।
  • डेंगू से संक्रमित होने पर रोगी को एस्पिरिन या अन्य दर्द निवारक दवाएं नहीं लेनी चाहिए। डेंगू और एस्पिरिन दोनों का प्लेटलेट काउंट पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और इसलिए रक्तस्रावी प्रक्रिया तेज हो सकती है।
  • घर पर डेंगू का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि तापमान बनाए रखा जाए और रोगी को भरपूर पानी और इलेक्ट्रोलाइट तरल पदार्थ से हाइड्रेटेड रखा जाए। रोग से लड़ने के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों की भी सिफारिश की जाती है।
  • डेंगू रक्तस्रावी बुखार की आपातकालीन देखभाल में अंतःशिरा जलयोजन(इंट्रावेनस हाइड्रेशन), दर्द प्रबंधन, रक्त आधान(ब्लड ट्रांस्फ्यूज़न), इलेक्ट्रोलाइट और ऑक्सीजन उपचार, रक्तचाप के स्तर की सावधानीपूर्वक निगरानी शामिल है।
  • डेंगू बुखार की रोकथाम में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का नियंत्रण या उन्मूलन शामिल है। एडीज मच्छर साफ, स्थिर और शांत पानी में प्रजनन के लिए जाना जाता है।
  • डेंगू बुखार से बचाव के लिए कोई टीका नहीं है।

डेंगू बुखार के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

डेंगू बुखार के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं:

  • तेज बुखार: 101-104 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच कहीं भी तापमान आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 3-15 दिनों के बीच होता है, गंभीर ठंड लगना बेचैनी को बढ़ाता है।
  • पूरे शरीर में दर्द और पीड़ा: ये मांसपेशियों, हड्डियों या यहां तक कि जोड़ों में भी हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वायरल उपस्थिति विटामिन और मिनरल्स की कमी का कारण बनती है जिससे दर्द और पीड़ा होती है। वास्तव में डेंगू रक्तस्रावी बुखार को हड्डी तोड़ बुखार के रूप में जाना जाता है।
  • जी मिचलाना और उल्टी: ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यदि वायरस शक्तिशाली है और रोगी की प्रतिरोधक क्षमता खराब है तो वायरस गैस्ट्रिक ट्रैक्ट में चला जाता है। यह दो दिनों से अधिक नहीं रहना चाहिए और बहुत बार नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो मरीज को गंभीर डेंगू हो जाता है। निर्जलीकरण, उल्टी के साथ एक और चिंता का विषय है।

त्वचा पर लाल चकत्ते: यह हल्के से मध्यम डेंगू का काफी सामान्य लक्षण है। रैश, ज्यादातर बुखार के 3-4 दिन बाद होता है। प्रारंभ में चेहरे को प्रभावित करता है और जिसके कारण त्वचा लालिमा से युक्त पैचेज के साथ एक धब्बेदार(स्पॉटी), निखरा हुई लगती है।

रैशेस के फैलने के लिए दूसरा स्थान है ट्रंक जहां यह सभी दिशाओं में फैल सकता है। एक अन्य प्रकार के डेंगू रैश में गुच्छेदार डॉट्स होते हैं जो बुखार के कम होने पर पूरे शरीर में कहीं भी दिखाई दे सकते हैं। अधिकतर इसमें खुजली नहीं होती है। वे कुछ दिनों के लिए अपने आप ठीक हो सकते हैं और फिर अप्रत्याशित रूप से फिर से उभर सकते हैं।

 

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