सीवान में ब्रिटिश जमाने का जर्जर पुल एकमात्र सहारा,क्यों?

सीवान में ब्रिटिश जमाने का जर्जर पुल एकमात्र सहारा,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

सीवान में सुंदरता बिखेरेगा राष्ट्रपति का पैतृक आवास

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान जिले में 2 राज्यों को जोड़ने वाली इकलौते ब्रिटिश जमाने की पुलिया अब मौत को दावत देने लगी है। दरअसल जर्जर की स्थिति में इस पुलिया से भारी वाहनों के टपने से इसमें लगातार कंपन हो रही है। जिसकी वजह से दुर्घटना की आशंका तेज होगी है। जिले के मैरवा प्रखंड मुख्यालय में स्थित सीवान और यूपी को जोड़ने वाली स्याही पुलिया दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाके में रह रहे लाखों की आबादी को 80 साल पुरानी इसी पुलिया का सहारा है।

पुलिया पतली होने की वजह से बड़े वाहनों के गुजरे के दौरान दोनों तरफ जाम लग जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त पुलिया चुनावी मुद्दा तो बनता है, लेकिन चुनाव के बाद इसे भुला दिया जाता है। गौरतलब है कि नौका टोला और यूपी के चित्रसेन बनकटा के बीच बनी यह पुलिया दोनों तरफ कई रिश्तों के डोर भी थामे हुए है। सीमावर्ती इलाके के व्यवसाय और किसानों के लिए इस पुलिया का खासा महत्व है। जिले के अधिकांश किसानों का गन्ना इसी पुलिया से होकर उत्तर प्रदेश के प्रतापपुर चीनी मिल पहुंचता है।

उदासीनता और देखरेख के अभाव में पुलिया बना जर्जर

मौत की दावत दे रही जर्जर पुलिया प्रशासनिक उदासीनता की शिकार है। देखरेख के अभाव में पुलिया की सुरक्षा बाउंड्री भी ध्वस्त हो चुकी है। इस पुलिया पर कई बार लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर नदी में गिर जाते है। हादसे में कई लोगों की तो मौत भी हो चुकी है। पुलिया पर कई जगहों पर दरार साफ देखा जा सकते है। भारी वाहनों के गुजरने के दौरान इसमें कंपन होता है। यह कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से कई बार इसके बारे में शिकायत की गई है लेकिन अभी तक जर्जर पुलिया को दुरुस्त नहीं कराया गया।

सीवान में सुंदरता बिखेरेगा राष्ट्रपति का पैतृक आवास

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास एक बार फिर से अपनी पुरातत्व की सुंदरता बिखेरेगा। बकायदा जर्जर जर्जर हो चुके महापुरुष के धरोहर को युगो-युगो तक ऐसे ही यादगार के तौर पर बरकरार रखने के लिए पटना हाई कोर्ट के निर्देश पर सौंदर्यीकरण का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस इस कार्य में करीब 18 लाख रुपए खर्च आएंगे। जिसका कार्य आने वाले 6 माह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

वहीं राजेंद्र बाबू के पैतृक आवास का सौंदर्यीकरण कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा कराया जा रहा है। अभी चहारदीवारी देने के लिए कार्य शुरू किया गया है।इसके साथ ही भवन के अंदर लोगों को भ्रमण करने के लिए पथवे का भी निर्माण कराया जाएगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा कराए जा रहा सौंदर्यीकरण कार्य।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा कराए जा रहा सौंदर्यीकरण कार्य।

पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने किया था भ्रमण

सीवान जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर जीरादेई में स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद के मकान का करीब 9 माह पहले पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल कुछ अधिवक्ताओं के साथ देशरत्न का पैतृक आवास का भ्रमण किया था। इसके बाद उन्होंने देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पटना के लिए प्रस्थान किए थे। कुछ दिनों के बाद ही पटना के अधिवक्ता ने देशरत्न डॉ राजेंद्र बाबू के पैतृक आवास सहित अन्य स्मारकों की दयनीय स्थिति देखते हुए याचिका दायर कर दी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जांच सदस्य टीम गठित किया। जिसके बाद जांच के बाद पटना हाईकोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। बाद में फंड मिलने के बाद सौंदर्यीकरण कार्य शुरू हुआ।

राजेंद्र प्रसाद के पैतृक आवास पर कराई जा रही चहारदीवारी।
राजेंद्र प्रसाद के पैतृक आवास पर कराई जा रही चहारदीवारी।

कहते हैं केयरटेकर

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कर्मी भानु प्रताप सिंह ने बताया कि सौंदर्यीकरण में करीब 18 लाख लागत से कार्य कराए जा रहे है। छह माह के भीतर कार्य को पूरा करा लिया जायेगा।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!