Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुई लुइस ब्रेल की खोज ब्रेल लिपि. - श्रीनारद मीडिया

दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुई लुइस ब्रेल की खोज ब्रेल लिपि.

दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुई लुइस ब्रेल की खोज ब्रेल लिपि.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बहादुर वे नहीं होते जो अपनी कमियों को कमजोरी समझकर जीते हैं, बहादुर वे होते हैं जो कमियों को चुनौती मानकर जीने की नई राह हासिल करते हैं। दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं जिनमें कुछ न कुछ कमियां हैं पर, बहुत कम लोग हैं जो कमियों को जीवन की बाधा न बनने देकर कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि उनकी कमियां खामोशी के साथ उनके आगे नतमस्तक हो उठती हैं। लुइस ब्रेल एक ऐसा ही नाम है जो एक हादसे में अपनी आंखों की रोशनी गंवाने के बावजूद लाखों दृष्टिबाधितों को दुनिया दिखाने का सहारा बने।

लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के एक छोटे से कस्बे कुप्रे में हुआ था। इनके पिता साइमन रेले ब्रेल घोड़ों की काठी बनाने का काम करते थे। लुइस के परिवार में चार भाई-बहन थे, जिसमें लुइस सबसे छोटे थे। लुइस जब मात्र 3 वर्ष के थे तब उनकी आंख में नुकीला औजार लग जाने से गंभीर चोट आई थी जिसके इन्फेक्शन से उनकी एक और फिर कुछ समय बाद दूसरी आंख की रोशनी भी पूरी तरह चली गई।

दुनिया को जानने की जिज्ञासा और पढ़ाई में लुइस की दिलचस्पी को देखते हुए लुइस के पिता साइमन ने उन्हें शिक्षा के लिए पेरिस के नेशनल ‘इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ’ में दाखिला दिला दिया। यहां लुइस ने मैथ्स फिजिक्स आदि विषयों को अच्छी तरह समझ लिया था।

शिक्षा के दौरान लुइस की मुलाकात फ्रांसीसी सैनिक ‘चार्ल्स बार्बियर’ से हुई। बार्बियर ने लुइस को सैनिकों के लिए बनी नाइट राइटिंग ‘मून टाइप’ लिपि के बारे में बताया जिसे अंधेरे में पढ़ा जा सकता था। यह लिपि कागज पर उभरी हुई थी जिसे 12 प्वाइंट्स से अलग-अलग ध्वनियों के आधार पर कोडमय किया गया था। बार्बियर की बताई लिपि से लुइस काफी प्रभावित थे और इसी आधार पर उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में एक ऐसी नई लिपि की रचना की जो दृष्टिबाधितों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी।

लुइस की बनाई लिपि बार्बियर की उल्लेखित लिपि की कई जटिलताओं को दूर करती थी और उससे काफी सरल और आसानी से समझ में आने वाली थी। बार्बियर की लिपि में जहां 12 बिन्दुओं को 6-6 की पंक्तियों में रखा गया था और जिसमें विराम चिन्ह, संख्या और गणितीय चिन्हों का समावेश नहीं हुआ था। लुइस ब्रेल ने अपनी लिपि में सिर्फ 6 बिन्दुओं का प्रयोग किया और 64 अक्षर और चिन्ह बनाए, इस लिपि में संगीत के नोटेशन और विराम चिन्हों को भी शामिल किया गया। लुइस ब्रेल की खोज इस नई लिपि को ब्रेल लिपि नाम दिया गया। इस लिपि में लिखी पहली पुस्तक 1829 में प्रकाशित हुई।

आंखे न होने के बावजूद लुइस ब्रेल ने वो आविष्कार कर दिखाया था जिसकी बदौलत हजारों दिव्यांग न सिर्फ स्कूल कालेजों में दूसरे विद्याार्थियों की तरह पढ़ लिख पाए बल्कि आत्मविश्वास के साथ दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सके। यह ब्रेल लिपि ही थी जिसकी सहायता से आज नेत्रहीन नौकरी, व्यवसाय इत्यादि वे सभी काम कर पा रहे हैं जिनके बारे में कभी उनके लिए सोचना भी मुमकिन नहीं था।

बात करते हैं आज के तकनीकी युग की तो उसमें भी दृष्टिबाधितों के लिए ब्रेल लिपि ही काम आ रही है। इस लिपि के प्रयोग से कई तकनीकी गैजेट्स बी टच सेलफोन, स्मार्टवॉच इत्यादि बनाए जा चुके हैं जिनके स्क्रीन पर ब्रेल लिपि का प्रयोग किया गया है, जिसके जरिए दृष्टिबाधित समाज की मुख्यधारा से जुड़े हुए हैं।

लुइस ब्रेल की खोज उनकी ब्रेल लिपि किसी देश विशेष के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर के दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुई है। भारत सरकार ने लुइस ब्रेल के जन्म दिन पर उनके सम्मान में 4 जनवरी 2009 को एक डाक टिकिट भी जारी किया था अलावा इसके भारतीय रिजर्व बैंक ने हमारी करेंसी में ब्रेल लिपि के विशेष चिन्हों को शामिल किया जिनसे नेत्रहीनों को असली और नकली नोट की पहचान करने में मदद मिलती है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!