समान नागरिक संहिता का मसौदा उत्तराखंड सरकार को सौंपा गया.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
समान नागरिक संहिता (UCC, यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित समिति ने आज यानी शुक्रवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी को मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए हैं. पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा. गौरतलब है कि यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है .
विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी . इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने जनता से वादा किया था कि नयी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले यूसीसी लागू किया जाएगा.
10 फीसदी लोगों ने दिये अपनी राय- सीएम धामी
मीडिया से बात करते हुए सीएम धामी ने बताया कि समिति ने चार खंड में यूसीसी के मसौदे के साथ लगभग 749 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. इसे चर्चा के लिए छह फरवरी को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा. सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी देश का ऐसा पहला कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश के करीब 10 फीसदी परिवारों की राय ली गयी और उनके विचारों को संकलित किया गया. धामी ने कहा कि लोगों की राय जानने के लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया गया. पोर्टल में 2.33 लाख लोगों ने अपने विचार दिए और इस प्रकार प्रदेश के लगभग 10 फीसदी परिवारों के विचार इसमें सम्मिलित हुए. मुख्यमंत्री ने समिति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उसके सदस्यों ने बहुत परिश्रम किया और विभिन्न स्थानों पर जाकर लोगों के विचार संकलित किए. धामी ने कहा कि मसौदा तैयार करने के लिए समिति ने 72 बैठकें भी कीं.
जल्द कानून बनाने की दिशा में बढ़ेंगे आगे- सीएम धामी
सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी को कानून बनाने के संबंध में जल्द औपचारिकताएं पूरी कर दी जाएंगी . उन्होंने कहा कि मसौदे का विधिक परीक्षण और अध्ययन किया जाएगा. इसके बाद इस पर चर्चा की जाएगी. विशेष रूप से बुलाए गए विधानसभा के इस सत्र में यूसीसी का मसौदा रखा जाएगा. सीएम धामी ने कहा कि कानून बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे. यूसीसी पर विधेयक लाना 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था. मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी.
ये हो सकते हैं प्रावधान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूसीसी के तहत इन प्रावधानों को रखा जा सकता है. इसके तहत विवाद का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. वहीं, तलाक के लिए समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे. पति-पत्नी को तलाक के समान अधिकार मिलेगा. बहुविवाह पर रोक लगाई जाएगी. लिव-इन रिलेशन का डिक्लेरेशन देना होगा. सेल्फ डिक्लेरेशन देना अनिवार्य होगा. उत्तराधिकार में लड़कियों को भी अधिकार दिया जाएगा. शादी के लिए लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल निर्धारित हो सकती है. पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पर प्रबंधित होगा.
देहरादून में यूसीसी कार्यालय पिछले तीन दिनों से प्रतिदिन 15 घंटे से अधिक काम कर रहा है. समिति के सदस्य दिन-रात रिपोर्ट तैयार करने में सक्रिय हैं. सूत्रों का कहना है कि मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हो सकती हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है. यहां कुछ प्रावधान दिए गए हैं जो यूसीसी में दिख सकते हैं, जैसे-
- समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
- लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है.
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी.
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा.
- विवाह के बाद अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है. प्रत्येक विवाह का संबंधित गांव, कस्बे में पंजीकरण कराया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा.
- विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है.
- मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी.
- लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार मिलेगा.
- मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
- पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी.
- नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा.
- पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा.
- यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिलता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी.
- अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा.
- पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है.
- बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने सहित जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रावधान पेश किए जा सकते हैं.
- पूरा मसौदा महिला केंद्रित प्रावधानों पर केंद्रित हो सकता है. आदिवासियों को यूसीसी से छूट मिलने की संभावना है.
मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था. अगर लागू हुआ तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है.
चार बार दिया गया कमेटी को एक्सटेंशन
यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों. सेवानिवृत्त न्यायाधीश देसाई के अलावा यूसीसी विशेषज्ञ समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल हैं. इस समिति को कुल चार विस्तार भी दिए गए जिसमें से अंतिम बार इसे जनवरी में 15 दिनों के लिए दिया गया,
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