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जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार समाहित है गीता में : स्वामी ज्ञानानंद - श्रीनारद मीडिया

जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार समाहित है गीता में : स्वामी ज्ञानानंद

जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार समाहित है गीता में : स्वामी ज्ञानानंद

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कुवि गीता पर करेगा बीए गीता स्टडीज प्रोग्राम की शुरुआत : कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा

श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय यूआईईटी संस्थान द्वारा ‘श्रीमद्भगद्गीताः विज्ञान, आधुनिक शिक्षा व जीवन प्रबंधन’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा है कि जीवन प्रबंधन की समग्र शिक्षा का सार गीता में समाहित है। गीता की शिक्षा आज के आवश्यकताओं के अनुरूप है। जो मनुष्य की बुद्धि को जागरूक रखें और क्या करना चाहिए और क्या करना है, क्या नहीं करना है, उसमें जो भेद बताए वह गीता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि इसमें मानव जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता हैं। यह उद्गार पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के संरक्षण में यूआईईटी संस्थान द्वारा श्रीमद्भगद्गीताः विज्ञान, आधुनिक शिक्षा व जीवन प्रबंधन विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए।

इससे पहले कार्यशाला का शुभारम्भ सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने गीता मनीषी पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता भारत का ही नहीं अपितु पूरे विश्व का गौरव है। यह ग्रंथ केवल हिन्दुओं के लिए नहीं अपितु पूरी विश्व की मानवता के लिए है। उन्होंने कहा कि गीता में अर्जुन विश्व के हर उस युवक का प्रतिनिधित्व करता है जो कहीं न कहीं मानसिक रूप से बाधित है। यदि आप गीता को ध्यान से पढेंगे तो आपको लगेगा की आप ही अर्जुन है तथा हमें गीता से अपनेपन का संबंध लगने लगता है। वहीं गीता में भगवान श्रीकृष्ण शिक्षार्थी, विद्यार्थी, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, कमांडर तथा पथ प्रदर्शक की भूमिका का निवर्हन किया है।

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में मनुष्य की वर्तमान समस्याओं का समाधान समाहित है तथा भविष्य की मानवता का शाश्वत संदेश श्रीमद्भागवत गीता में निहित है। यदि हर शिक्षक, प्रोफेसर पवित्र ग्रंथ गीता की सोच को लेकर शिक्षा दे तो निश्चित ही शिक्षा क्षेत्र में अद्भुत, सकारात्मक, रचनात्मक क्रांति का संचार होगा। उन्होंने विद्यार्थियों के लिए कहा कि उनमें जितनी ज्यादा एकाग्रता होगी उतना ही उनमें अधिक आत्मविश्वास होगा।

वहीं बिना एकाग्रता के कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने तीन ‘ए’ के बारे में कहा कि यदि मनुष्य जीवन में अपने कर्म के प्रति एक्टिव, अलर्ट एवं अवेयर रहेंगे तो एकाग्रता को प्राप्त कर जीवन में अवश्य सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ को आत्मसात करने से ही विद्यार्थियों में एकाग्रता, आत्मविश्वास जागृत होगा जो उनकी स्मरण शक्ति को भी मजबूत करेगा। गीता मनुष्य के अंदर छुपी हुई क्षमताओं का विकास करती है तथा मन को एकाग्रचित करती है। यह हमें जीवन में समय प्रबंधन भी सिखाती है, तथा भविष्य की चिंता न करने व वर्तमान को संभालने का संदेश भी देती है। गीता का भक्ति योग मन को एकाग्रचित करने के लिए है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भारत में शिक्षा का स्वरूप का नाम जीवन का सर्वांगीण विकास है। यहीं से शिक्षा के साथ जीवन प्रबंधन भी जुड़ा हुआ है। यदि जीवन में धन कमा लिया लेकिन मन, स्वास्थ्य ही ठीक नहीं है तो किस काम आएगा। उन्होंने कहा कि जीवन के उत्थान के लिए सत्संग जरूरी है। सत्संग केवल उसी का नाम नहीं जब कथा पंडाल में बैठे हो, अच्छे मित्र एवं पुरुष से अच्छी प्रेरणा, अच्छा साहित्य भी पढ़ना भी सत्संग है। एक अच्छे साहित्य, पुरुषों एवं मित्रों का संग बिगड़ी हुई बुद्धि को अच्छा बना देता है। बुरी संगति अच्छी बुद्धि को भी बिगाड़ देती है। इसके साथ ही पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने युवाओं की जीवन की शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का समाधान किया।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि गीता के दिव्य ज्ञान को शोध, पाठ्यक्रम एवं संवादों के माध्यम से शिक्षा के हर स्तर पर पहुचाने की आवश्यकता है ताकि अगली पीढ़ी तकनीकी के साथ आत्मिक रूप से भी समृद्ध हो। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय जल्द ही बीए गीता स्टडीज प्रोग्राम को गीता संस्थान के साथ शुरू करेगा तथा भविष्य में पीजी एवं पीएचडी के स्तर पर भी ले जाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि केयू ने वेल्यू एडिड कोर्स के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप गीता ज्ञान संस्थान के साथ एमओयू भी किया है। कुलपति ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने एनईपी 2020 को पूरे देश में सबसे पहले यूजी व पीजी प्रोग्राम्स में सभी प्रावधानों के साथ लागू किया है।

कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने गीता मनीषी पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमद्भगवद विज्ञान, आधुनिक शिक्षा एवं जीवन प्रबंधन जैसे गूढ़ विषयों पर पूज्य स्वामी की अमृतवाणी हृदय को छू गई तथा चिंतन को भी एक नई दिशा प्रदान कर गई। गीता धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन जीने का शास्त्र एवं जीवंत मार्गदर्शन है। शिक्षा केवल सूचना का संचय नहीं बल्कि बुद्धि एवं विवेक का विकास है। वर्तमान में जब युवा पीढ़ी मानसिक तनाव एवं निर्णय असमर्थता से जूझ रहे हैं तब गीता का निष्काम कर्म का संदेश उन्हें संयमता एवं धैर्यता की ओर अग्रसर करता है। छात्रों को केवल डिग्रियां ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाई जाए, गीता इसमे अमूल्य संसाधन है।

कार्यशाला के संरक्षक एवं यूआईईटी निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। वहीं कार्यशाला के संयोजक डॉ. राजेश अग्निहोत्री ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया तथा डॉ. उर्मिला ने मंच का संचालन किया।

इस अवसर पर डॉ. ममता सचदेवा, कुवि कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, केबीडी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, 48 कोर्स तीर्थ समिति के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सदस्य विजय नरूला, निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा, डीन प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. प्रीति जैन, प्रो. कृष्णा देवी, प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. अनिल गुप्ता, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उपनिदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. ऋषिपाल मथाना, अशोक रोशा, डॉ. एमके मोदगिल, डॉ. पवन दीवान, डॉ. प्रियंका जांगड़ा, डॉ. उर्मिला, डॉ. सविता गिल, हरिकेश पपोसा सहित केयू डीन्स, निदेशक, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

प्रदर्शनी में आध्यात्मिकता और विज्ञान का अद्भुत संगम।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान की ओर से श्रीमद्भगद्गीताः विज्ञान, आधुनिक शिक्षा व जीवन प्रबंधन’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के अतंर्गत क्रश हॉल में यूआईईटी के विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि यह प्रदर्शनी आध्यात्मिकता और विज्ञान का अद्भुत संगम है।

उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी तकनीकी, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सहित शिक्षा एवं जीवन अन्य क्षेत्रों में पर्थ प्रदर्शक का कार्य करती है। इस अवसर पर छात्रों ने श्रीमद्भगवद्गीता के संदेश एवं उसके अध्यायों को लेकर तकनीकी स्वरूप में उपयोगिता पर प्रदर्शनी का आयोजन किया।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने की नशा मुक्ति, स्वस्थ युवा एवं बड़ों के सम्मान की घोषणा।

केयू ऑडिटोरियम हॉल में मुख्यातिथि पूज्य गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हुए तीन घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि भविष्य में युवाओं को नशा मुक्ति, स्वस्थ युवा तथा बड़ों का सम्मान करने के लिए कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर सभागार में उपस्थित युवाओं ने पूज्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज से जीवन की समस्याओं, कर्म करने, सही समय प्रबंधन करने, एकाग्रता बनाने, संयमता को लेकर प्रश्न पूछे तथा अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।

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